World Food Day: दुनिया भर में भूख से जूझ रहे हैं 82 करोड़ लोग

पूरे विश्व में संयुक्त राष्ट्र (UN) के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के स्थापना दिवस के दिन पर प्रति वर्ष विश्व खाद्य दिवस (World Food day) मनाया जाता है. प्रति वर्ष 16 अक्टूबर को मनाए जाने वाले इस दिन को मनाने का मकसद संसार में भूख की समस्या से निपटना और विश्व को खाद्य सुरक्षा प्रदान करना है, जिससे पूरे विश्व में से भूख का उन्मूलन किया जा सके. यह दिन दो तरीके से मनाया जाता है, पहला तो इस दिन दुनिया के बेहतरीन खाने को प्रोत्साहित किया जाता है, किन्तु इसे दुनिया में खाद्य की कमी से निपटने की कोशिशों को बढ़ावा देने के लिए भी मनाया जाता है.

इस दिवस को मानने काम काफी सारे संगठन करते हैं. किन्तु इस साल UN के खाद्य एवं कृषि संगठन के साथ, संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार आयोग, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी और विश्व खाद्य कार्यक्रम मिल कर मना रहे हैं. ये संगठन विस्थापित और “मेजबान समुदाय के लिए स्थानीय खाद्य व्यवस्था को मजबूत करने के प्रयासों को मनाने” के शीर्षक के तहत इस वर्ष को फ़ूड डे मना रही हैं. विश्व खाद्य कार्यक्रम को वर्ष 2020 में शांति का नोबेल पुरस्कार से नवाज़ा गया था. यह सम्मान उसे भूख से लड़ने, विवादों और संघर्षों में शांति का योगदान देने की कोशिशों के लिए दिया गया था. इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही है कि इसने कभी भूख को युद्ध और संघर्ष में हथियार के रूप में इस्तेमाल होने से सफलता पूर्वक रोका है.

विश्व में इस समय आर्थिक विषमता काफी अधिक है. मगर इसके अलावा भौगोलिक, जलवायु, राजनैतिक कारण भी हैं जिससे लोगों में भोजन का उत्पादन और उसकी उपलब्धता की समस्या काफी गंभीर हैं. हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों ने भी भूख और खाद्य सुरक्षा की समस्या को और गंभीर बना दिया है. कई स्थानों से लोगो पलायन करने के लिए मजबूर हैं, जिससे वे शरणार्थी बने हैं और खाद्य की समस्या से जूझ रहे हैं. खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार, विश्व की आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा स्वस्थ्य आहार से वंचित है. आज यह संख्या तीन अरब से कहीं अधिक है. वहीं दुनिया का पैदा किया हुआ एक तिहाई भोजन, जो लगभग एक ट्रिलयिन डॉलर का होता है, बेकार चला जाता है. वहीं संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 82 करोड़ लोग भूख से पीड़ित हैं.

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