100 करोड़ की वसूली पर घिरी उद्धव सरकार, 4 दशक पहले ऐसे ही बर्खास्त हुई थी शरद पवार की गवर्नमेंट

मुंबई: महाराष्ट्र में लगभग सवा साल पहले NCP चीफ और पूर्व सीएम शरद पवार ने भाजपा की तय दिख रही सत्ता को छीनकर शिवसेना के सामने थाली में सजा कर पेश कर दिया था. इसी का परिणाम रहा कि उद्धव ठाकरे नवंबर 2019 में सीएम बने, किन्तु अब उसी शरद पवार की NCP के नेता और राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर लगे आरोपों के कारण सरकार पर फिर संकट मंडराने लगा है. भाजपा नेता व पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में पार्टी नेताओं ने गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात कर उन्हें सीलबंद लिफाफे में कुछ प्रमाण सौंपे हैं और CBI जांच की मांग की है.

ऐसे में चार दशक पहले की यादें ताजा हो गई है, जब कानून व्यवस्था के मामलों में बुरी तरह घिरी शरद पवार सरकार को गवर्नर ने बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था. भाजपा नेता मुनगंटीवार ने महाराष्ट्र की मौजूदा स्थिति की तुलना 1980 से की है, जब महाराष्ट्र में शरद पवार की प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि 1980 जैसे हालत होने के बाद भी वह राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग नहीं कर रहे हैं. मुनगंटीवार ने कहा कि परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए इल्जाम गंभीर हैं और उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता. 

बता दें कि मुकेश अंबानी के घर के बाहर जिलेटिन से भरी स्‍कॉर्पियो मिलने के मामले में प्रति दिन हो रहे नए नए खुलासों से महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार लगातार घिरती जा रही है. मुंबई के पुलिस आयुक्त पद से हटाए गए परमबीर सिंह ने महाराष्‍ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपये महीने की वसूली के गंभीर इल्जाम लगाए हैं, जिसे लेकर भाजपा ने मोर्चा खोल दिया है. 

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