राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस कमिश्नर बनाने में क्या गलत ? अब सुप्रीम कोर्ट सुलझाएगी केस

नई दिल्ली: IPS अफसर राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस कमिश्नर बनाए जाने का मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया हैं. शीर्ष अदालत इस मामले में दाखिल याचिका पर मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना और न्यायमूर्ति सुर्यकांत की बेंच 5 अगस्त को सुनवाई करेगी. याचिका दाखिल करने वाले वकील एम एल शर्मा के अनुसार, राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस कमिश्नर बनाया जाना सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य फैसले का जानबूझकर किया गया उल्लंघन है. ऐसे में उन्होंने पीएम और गृह मंत्री के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मुकदमा चलाए जाने की भी मांग की है.

याचिकाकर्ता ने 2018 में प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार मामले में दिए गए शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे अधिकारियों की पुलिस प्रमुख के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता, जिनकी सेवानिवृति में छह माह या उससे कम का वक़्त बचा हो. पूर्व CBI अफसर राकेश अस्थाना को केंद्र सरकार ने सेवानिवृति के तीन दिन पहले दिल्ली पुलिस कमिश्नर बनाया था. गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी करते हुए कहा था कि अस्थाना का पुलिस सेवा कार्यकाल 'जनहित' को ध्यान में रखते हुए 1 वर्ष के लिए बढ़ाया जा रहा है, इसके साथ ही उन्हें एक साल के लिए दिल्ली पुलिस का कमिश्नर बना दिया गया.

बता दें कि दो माह पूर्व भी CBI डायरेक्टर की नियुक्ति के दौरान सेवानिवृति में छह महीने से कम का वक़्त बचा होने की वजह से राकेश अस्थाना के नाम को मंजूरी नहीं मिली थी. याचिकाकर्ता वकील ने कहा कि इस मामले में पीएम और गृह मंत्री ने संवैधानिक व्यवस्था के विपरीत काम किया है. याचिका में यह भी कहा गया है कि संवैधानिक अदालत को यह तय करना चाहिए कि क्या इन दोनों व्यक्तियों को नैतिक व कानूनी रूप से संवैधानिक पदों पर बने रहने का अधिकार है या नहीं?

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