'रामनवमी पर जानबूझकर भड़काए गए दंगे, पुलिस-प्रशासन असली दोषी..', पूर्व चीफ जस्टिस की रिपोर्ट में घिरी ममता सरकार

कोलकाता: देश में कई लोगों द्वारा इस बात की आशंका पहले से जताई जा रही थी कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की सरकार नहीं चाहती कि रामनवमी पर हुई हिंसा की 'सच्चाई' सामने आए। इसके पीछे प्रमुख कारण यह था कि मानवाधिकार संगठन की फैक्ट फाइंडिंग टीम को हिंसा प्रभावित इलाके में जाने से बंगाल पुलिस बार-बार रोक रही थी। अब टीम ने फैक्ट फाइंडिंग टीम ने अपनी रिपोर्ट में इन आशंकाओं को सच साबित कर दिया है। 

 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मानवाधिकार संगठन के 6 सदस्यीय टीम के अध्यक्ष और पटना उच्च न्यायालय के पूर्व चीफ जस्टिस नरसिम्हा रेड्डी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि बंगाल में रामनवमी पर हुई हिंसा सुनियोजित थी। इसके लिए जानबूझकर लोगों को भड़काया गया और दंगे करवाए गए। जस्टिस रेड्डी ने रविवार (9 अप्रैल) को आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि, 'रिशड़ा और शिबपुर हिंसा मामलों की NIA जाँच कराना यह जानने के लिए आवश्यक है कि क्या इन दंगों को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया था। स्पष्ट बिंदु हैं कि दोनों मामलों में घटना के लिए पुलिस जिम्मेदार है।' 

फैक्ट फाइडिंग समिति के सदस्य और रिटायर्ड IG (क्राइम) राजपाल सिंह ने कहा है कि, 'असली अपराधी पुलिस और प्रशासन ही हैं। प्रशासन व्यवस्था सुधारने में विफल रहा है। बेकसूर लोगों पर केस दर्ज किया जा रहा है और मुख्य अपराधियों को पनाह दी जा रही है।' दरअसल, जब यह टीम हिंसा प्रभावित इलाकों में पीड़ितों से मिलकर असलियत का पता लगाने के लिए जा रही थी, तो बंगाल पुलिस के अधिकारियों ने इन्हें रास्ते में रोक दिया था। पुलिस अधिकारियों का कहना था कि क्षेत्र में धारा 144 लागू है, इसलिए वे आगे नहीं जा सकते।

 

फैक्ट फाइंडिंग टीम के सदस्यों के एक बार नहीं, बल्कि कई बार और कम-से-कम 3 बाद हिंसा प्रभावित इलाके में जान से रोका गया। आरोप यह भी है कि, इस दौरान बंगाल पुलिस ने समिति के सदस्यों के साथ बदसलूकी भी की थी। तब समिति के सदस्यों ने कहा था कि इलाके में धारा 144 जैसी स्थिति नज़र नहीं आ रही है। बल्कि, पुलिस 144 का बहाना बनाकर उन्हें दंगा प्रभावित इलाके में जाने से रोक रही है, ताकि सच्चाई बाहर ना आ सके।

टीम के एक सदस्य ने बताया था कि पुलिस ने उन्हें रोक लिया था। उन्होंने कहा था कि वे लोग घायलों से बात कर उनका हौसला-अफजाई करने जा रहे थे। टीम के सदस्यों ने ये भी कहा था कि 8 अप्रैल 2023 को भी रिसड़ा जाने के दौरान रास्ते में बंगाल पुलिस ने उन्हें रोक दिया था। समिति ने कहा था कि कहा कि बंगाल की ममता सरकार प्रदेश की जनता के बारे में कुछ नहीं सोचती।  

दंगों के लिए ममता सरकार पर क्यों उठ रहे सवाल:- 

बता दें कि, सीएम ममता बनर्जी ने हिंसा के बाद कहा था कि, मुस्लिम रमजान के महीने में कोई गलत काम कर ही नहीं सकते, शोभायात्रा वाले लोग ही अपना जुलुस लेकर मुस्लिम इलाके में घुसे और आपत्तिजनक नारे लगाए, जिससे हिंसा भड़क गई। ममता के इस बयान के बाद मीडिया में भी ऐसी ही खबरें चलीं।  हालाँकि, सोशल मीडिया पर शोभायात्रा पर पथराव करते लोगों के वीडियो देखने को मिले हैं। रामनवमी से पहले भी ममता बनर्जी ने एक बयान में चेतावनी देते हुए कहा था कि, 'शोभायात्रा के दौरान किसी मुस्लिम के घर हमला हुआ तो उसे छोड़ूंगी नहीं।' अब गौर करने वाली बात ये भी है कि, एक तरफ ममता बनर्जी कह रहीं हैं कि, जुलुस वाले मुस्लिम इलाके में क्यों घुसे, वहीं कोलकाता हाई कोर्ट का कहना है कि, बंगाल पुलिस द्वारा तय किए गए मार्ग से ही जुलुस निकाला गया। इस पर सवाल ये उठता है कि, यदि मुस्लिम इलाके में हिंसा की आशंका थी, तो पुलिस ने वहां से जुलुस निकालने की अनुमति क्यों दी ? और वो कौन से आपत्तिजनक नारे थे, जिन्हे पुलिस ने नहीं सुना, या फिर सुना भी, तो जुलुस वालों को वो नारे लगाने नहीं रोका ? और यदि नारे आपत्तिजनक थे भी, तो मुस्लिम समुदाय के लोग पुलिस में शिकायत कर सकते थे, शोभायात्रा पर पथराव क्यों किया ?

बता दें कि, ममता बनर्जी खुद भी कई बार जय श्री राम के नारों से चिढ़ती हुईं नज़र आई हैं। कई बार कार्यक्रमों में जय श्री राम का नारा लगने से ममता मंच छोड़ चुकी हैं। ऐसे में माना जा सकता है कि, ममता बनर्जी को इस नारे से आपत्ति है और हो सकता है कि, रामनवमी के जुलुस में जब यह नारा लगा हो, तो ममता समर्थक भड़क गए हों और हमला कर दिया हो। हालाँकि, सच्चाई क्या है, इसका पता लगाने पटना हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस के नेतृत्व में एक टीम बंगाल पहुंची है, लेकिन उन्हें दंगा प्रभावित इलाके में जाने ही नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में ये सवाल उठ रहा है कि, क्या ममता सरकार दंगों की सच्चाई छुपाने का प्रयास कर रही है ?   

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