जल संरक्षण का सन्देश दे रहा उत्तर प्रदेश का ये मंदिर, जानिए क्या है ख़ास

लखनऊ: हम आज बात कर रहे है उत्तरप्रदेश के महाराजगंज जिले के बड़हरा की, जहां भगवान जगन्नाथ के मंदिर परिसर में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता स्पष्ट दिखाई देती है. मंदिर 233 वर्ष पुराना है और जहां अब तक कुएं के पानी से सभी कार्य किए जाते हैं. फिर चाहे वह पीने की आवश्यकताओं का ध्यान रखना हो या मंदिर परिसर की साफ-सफाई का जिम्मा हो.

भगवान जगन्नाथ के इस प्राचीन मंदिर में कुएं के पानी का उपयोग तक़रीबन हर काम में लाया जाता है. प्रसाद बनाने के काम में भी और मंदिर परिसर की साफ-सफाई में भी. बचपन में आप ने किताबों में जल संरक्षण के कई तरीकों के सम्बन्ध में पढ़ा होगा. कुएं जल संरक्षण का सबसे बड़ा स्त्रोत हैं, यह भी जानकारी आपको मालूम होगी.  जिला प्रशासन ने इस मंदिर परिसर की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस प्रकार से कुएं के पानी का उपयोग कर के वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को बढ़ावा दिए जाने की यह पहल काबिल-ए-तारीफ है.

अधिकारियों ने कहा कि एक तरीका तो यह है कि आप अपने घरों की छतों पर वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए कुछ तकनीक बनाए, ताकि पानी की बर्बादी से बचा जा सके. पुरान जमाने में पानी की बर्बादी इतनी अधिक नहीं होती थी, उस समय तक पानी की उपलब्धता के लिए लोग कुओं का उपयोग करते थे. जलाशय का निर्माण कराया जाता था और बरसात के दिनों में पानी का संरक्षण किया जाता था. किन्तु अब विकास की इस दौड़ में पानी बचाने या स्टोर करने की विधियां उपयोग में कम लाई जाती थी. ऐसे में महंतों और मंदिर के कर्मचारियों की तरफ से अपनाई जा रही ये पहल जल संरक्षण का मैसेज दे रही है. 

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