हकीकत का सामना जरूरी है इस बीमारी में

आप पुराने ज़माने की मशहूर अदाकारा परवीन बॉबी को तो जानते ही होंगे. उन्होंने बुलंदियों को छुआ, मगर उसके बाद भी निजी जिंदगी के कारण उनके अंतिम समय में उनके पास कोई मौजूद नहीं था. उन्हें सिजोफ्रेनिया था, जिसके कारण लोगो ने उनसे दूरी बना ली थी. सिजोफ्रेनिया एक तरह की मानसिक रोग हैं, यह ऐसा रोग हैं जो आसानी से पीछा नहीं  छोड़ता हैं.

इसमें रोगी को तरह-तरह की आवाजें सुनाई देती हैं. इस बीमारी में मरीज कल्पना में जीने लगता है, कई बार उसे हकीकत में लाना मुश्किल हो जाता है. यह एक बहुत खतरनाक बीमारी हैं. फिजिकल एक्टिविटी न करने और एंटीसाइकोटिक दवाओं के कारण डायबिटीज की समस्या शुरू हो जाती हैं. सिजोफ्रेनिया को कंट्रोल करने के लिए जो दवाइयां दी जाती हैं, उससे इन्सुलिन का स्तर बढ़ता जाता हैं.

इस बीमारी में मरीज को लगता हैं कि दूसरे लोग उसके खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हैं. इसमें मरीज की सोचने और समझने की क्षमता खत्म हो जाती हैं. मरीज खुद को समाज से अलग कर लेता हैं. ऐसी हालत में मरीज के साथ परिवार के सदस्यों को रहने की सलाह दी जाती हैं. ताकि वह उनका ख्याल रखे. यदि रोगी अपनी हकीकत का सामना करे तो उसके ठीक होने की कुछ उम्मीदे होती है.

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