ऐसे शुरू हुआ था FIFA वर्ल्ड कप की पहली शानदार ट्रॉफी का सफर

हर 4 वर्ष में एक बार आयोजित होने वाले वर्ल्ड कप के विनर्स को इस ट्रॉफी से सम्मानित किया जाता है, FIFA वर्ल्ड कप ट्रॉफी वर्ल्ड फुटबॉल में सबसे प्रतिष्ठित खिताब है। अपने निर्माण के उपरांत से ही FIFA वर्ल्ड कप ट्रॉफी को विश्व में हर फुटबॉल खेलने वाला देश इसे जीतने की चाहत रखता है। वर्तमान में 200 से अधिक देशों ने इसे जीतने के लिए मैदान पर जोर-आजमाइश भी कर दी है। इस बीच उनके मुकाबलों ने कई बहुत ही यादगार पलों को संजोया है। लेकिन विश्व भर में सबसे अधिक पहचाने जाने वाले खेल प्रतीकों में से एक है और इसके परिणामस्वरूप साथ जुड़ी इसकी अहमियत ने चांदी की ट्रॉफी पर अवांछित ध्यान को भी अपनी ओर आकर्षित किया है। इसकी वजह से FIFA  विश्व कप ट्रॉफी ने मैदान के बाहर भी कई साजिशों का शिकार बन गए।

फीफा वर्ल्ड कप ट्रॉफी में बदलाव: इन बीते वर्षों में फुटबॉल वर्ल्ड कप ट्रॉफी के दो अलग-अलग डिजाइन भी दिए गए थे। जूल्स रिमेट ट्रॉफी पहला डिजाइन (पुनरावृत्ति) था। इसका इस्तेमाल 1930 से 1970 तक किया जा चुका था। ब्राजील इस दौरान प्रतियोगिता के इतिहास में तीन बार चैंपियन (1958, 1962 और 1970) बनने वाला पहला देश बनकर इसे पूरी तरह से अपने नाम कर चुके है। FIFA वर्ल्ड कप ट्रॉफी यह एक दोबारा डिजाइन की गई ट्रॉफी है, जिसे वर्तमान में भी इस्तेमाल किया जाता है और 1974 से दी जाने वाली यह ट्रॉफी हर चार वर्ष में विजेताओं को दी जाती है।

जूल्स रिमेट ट्रॉफी: 1930-1970 : FIFA वर्ल्ड कप ट्रॉफी के शानदार सफर की शुरुआत वर्ल्ड फुटबॉल गवर्निंग बॉडी FIFA के तीसरे प्रेसिडेंट जूल्स रिमेट से हुई थी। उन्होंने 1928 में एक फुटबॉल वर्ल्ड कप की योजना बनाई और बाद में 1930 में उरुग्वे में पहला संस्करण आयोजित करने के लिए आने वाले वर्ष एक वोट पारित किया। प्रतियोगिता के लिए ट्रॉफी डिजाइन करने का काम एक फ्रांसीसी मूर्तिकार एबेल लाफलेउर को सौंप दिया गया था,  जिसके उपरांत में लॉस एंजिल्स 1932 ओलंपिक के बीच आयोजित आर्ट प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए गए थे। लाफलेउर के डिजाइन में जीत की ग्रीक देवी नाइके की एक सोने की मूर्ति रही, जिसके सिर पर एक अष्टकोणीय कप था। उनके गले में एक माला थी। यह नाइके ऑफ सैमोथ्रेस मूर्ति से प्रेरित था, जो हेलेनिस्टिक युग की एक अधूरी अभी तक प्रतिष्ठित ग्रीक मूर्ति है जो पेरिस के लौवरे म्यूजियम में रखी गई।

बता दें कि ट्रॉफी को मूल रूप से विक्ट्री और आमतौर पर कूप डू मोंडे (वर्ल्ड कप के लिए फ्रेंच) बोला जाता था। इतना ही नहीं इसकी ऊंचाई 35 सेमी और वजन 3.8 किग्रा था। इसका निर्माण गोल्ड प्लेटेड स्टर्लिंग सिल्वर से किया गया था और इसमें लैपिस लाजुली नामक अर्ध-कीमती पत्थर से बना नीला आधार भी कहा जाता था। इसके आधार के चारों किनारों पर सोने की प्लेट लगी हुई थी, जिस पर प्रत्येक संस्करण के उपरांत विजेता देशों के नाम मौजूद थे।

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