भारत का आटोमोबाइल उद्योग काफी बेसब्री से आम बजट का इंतजार कर रहा था। पिछले दो दशकों की सबसे बड़ी मंदी से जूझ रहा यह उद्योग अब क्या सोचता है। इसके अलावा इसका साफ तौर पर अभी जवाब देना तो मुश्किल है। वही सबसे पहले तो देखिए जीएसटी लागू होने के बाद शुल्कों में परिवर्तन को लेकर हम पहले बजट का इंतजार करते रहते थे, अब वैसा नहीं है। परन्तु फिर भी कई ऐसे उपाय हैं जो परोक्ष तौर पर आटोमोबाइल बाजार को प्रभावित करेंगे। सबसे पहले तो ग्रामीण क्षेत्र के लिए आवंटन में कोई कमा नहीं की गई है बल्कि बढ़ाया गया है। इसके साथ ही जब गांवों में स्थिति सुधरेगी तो निश्चित तौर पर वहां से वाहनों की भी मांग आएगा।चूंकि हम 40 फीसद कारें गांवों में बेचते हैं इसलिए हमें ज्यादा फायदा हो सकता है। वही दूसरा, 30 लाख करोड़ रुपये के कुल खर्चे में 4.37 लाख करोड़ रुपये की राशि समूचे ढांचागत क्षेत्र को दिया जा रहा है। इसके अलावा ढांचागत क्षेत्र में ज्यादा पैसा खर्च करने से सभी तरह के वाहनों की मांग बढ़ेगी। वही तीसरा असर, वित्त मंत्री के भाषण मे जिस तरह से कारोबार के लायक माहौल बनाने का काम किया है उसका होगा। वैसे सरकार ने पहले ही कारपोरेट टैक्स में कटौती कर एक माहौल बनाई है जिसका भी असर आटोमोबाइल सेक्टर पर पड़ेगा। वैसे आटोमाबइल उद्योग में इस्तेमाल होने वाले खनिजों पर सीमा शुल्क बढ़ा दिया गया है जिसका नकारात्मक असर भी पड़ेगा। इसके अलावा यह कहना अभी मुश्किल है। इसलिए मुश्किल है कि बाजार अभी परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। सारी कंपनियां बीएस-6 व अन्य मानकों के मुताबिक वाहनों को लांच कर चुकी हैं या करने जा रही हैं। वाहनों की कीमतें पहले से बढ़ी हुई हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें की वैसे जनवरी में ग्रामीण बाजार में मांग बढ़ी है जो एक सकारात्मक संकेत है। परन्तु कीमत बढ़ने को लेकर ग्राहक कैसे देखता है, यह अभी सामने आना बाकी है। साफ तौर पर कुछ भी अभी नहीं कहा जा सकता।सरकार निश्चित तौर पर बिजली से चलने वाली कारों को बढ़ावा देने की बात कर रही है और बजट में या उसके पहले भी कुछ घोषणाएं हुई हैं। परन्तु भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में अभी इलेक्टि्रक कारों की राह में काफी दिक्कत है। इसके साथ ही सबसे बड़ी समस्या बैट्री की कीमतों को लेकर है। अगर मैं उदाहरण दे कर कहूं तो दो बड़ी कार कंपनियों ने बीते कुछ महीनों में अपनी इलेक्ट्रिक कारें लांच की हैं। एक की कीमत 24-25 लाख रुपये है जबकि दूसरी की 14 लाख रुपये। इनकी सामान्य (पेट्रोल वाली) की कीमत क्रमश: 12 लाख रुपये या 6 लाख रुपये है। यानी सिर्फ बैट्री की वजह से कीमत दोगुनी हो गई है। PMC घोटाला मामले में नया ट्विस्ट, RBI ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा Crude Oil की कीमत हुई न्यूनतम, 22 दिन में लगभग 3 रुपये घटी Petrol-Diesel की कीमतें करदाताओं को बचत के विकल्प जारी कराएगी नई टैक्स प्रणाली