5 साल तक बेटी का रेप करता रहा पिता, कोर्ट ने रामचरितमानस की चौपाई सुनाते हुए कहा- 'ऐसा तो दानव भी नहीं करता'

कोटा: राजस्थान से एक चौंकाने वाली घटना सामने आ रही है यहाँ 5 वर्षों से अपनी ही नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार करने वाले पिता को कोटा के पॉक्सो कोर्ट ने अंतिम सांस तक जेल की सजा सुनाई है। बृहस्पतिवार को कोर्ट नंबर-3 के जज दीपक दुबे ने फैसला सुनाते हुए रामचरितमानस की चौपाई लिखकर बाली वध का उदाहरण दिया है। इसके साथ ही लिखा- ऐसा उदाहरण तो दानवों में भी देखने को नहीं मिलता। पीड़िता नेशनल प्लेयर है।

सरकारी अधिवक्ता ललित कुमार शर्मा ने बताया- मामला 19 दिसंबर 2022 का है। पीड़िता अपनी 3 बहनों में सबसे बड़ी है। पीड़िता की मां तथा छोटी बहन बाजार गई थी। वहीं मंझली बहन अखाड़े में खेलने गई थी। इस के चलते पीड़िता रसोई में खाना बना रही थी। शाम 6 बजे उसके पिता ने उसे जबरन पकड़ लिया तथा भीतर कमरे में ले जा कर बलात्कार किया। पीड़िता ने मां के घर लौटने पर पूरी घटना की खबर दी। तत्पश्चात, पीड़िता की मां और आरोपी पिता के बीच झगड़ा हुआ। पिता ने माफी मांगते हुए ऐसी गलती दुबारा नहीं दोहराने की बात कही। हालांकि पीड़िता ने 9 मार्च 2023 को उद्योग नगर थाने में रिपोर्ट दी थी।

जज दीपक दुबे ने टिप्पणी में बाली वध के प्रसंग से जुड़ी रामचरितमानस की चौपाई लिखी। अदालत ने लिखा- मरते वक़्त बाली ने श्रीराम से पूछा, आपने मेरा वध क्यों किया, तब श्रीराम ने बाली से कहा-

अनुज बधू भगिनी सुत नारी। सुनु सठ कन्या सम ए चारी॥ इन्हहि कुदृष्टि बिलोकइ जोई। ताहि बधें कछु पाप न होई॥

अर्थात छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी तथा अपनी पुत्री इन चारों में कोई अंतर नहीं है। किसी भी पुरुष के लिए ये एक समान होनी चाहिए। इन पर अपनी कुदृष्टि रखने वाला या इनका अपमान करने वाले का वध करना पाप की श्रेणी में नहीं आता।

अदालत ने लिखा- श्रेष्ठ परवरिश तथा संस्कारों के चलते ही बेटी ने राष्ट्रीय स्तर पर खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। अपरिपक्व अवस्था से बालिग अवस्था तक शारीरिक संबंध बनाना इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना है। इस तरह का उदाहरण सम्भवतया दानवों में भी नहीं पाया जाता। समय परिवर्तनशील है, किन्तु पिता का कलंक और बेटी की कटु स्मृतियां सम्भवतः कभी नहीं मिटेंगी। दोषी पिता अपने जीवन की आखिरी सांस तक कारागार में बैठकर हर क्षण अपने पापों का प्रायश्चित करता रहेगा। उसे देख कर भविष्य में कोई भी पिता अपनी बेटी की तरफ कुदृष्टि डालने की हिम्मत नहीं करेगा।

आदेश में लिखा गया- अदालत होनहार बेटी को संदेश देना चाहती है। हमारी बिटिया रानी तुम होनहार खिलाड़ी हो, विपरीत हालातों में साहस व धीरज के साथ लड़ना और विजयी होना तो तुम्हारे खून में है। चलो उठो काली अंधेरी रात गुजर चुकी है। आशाओं का सूरज नई किरण के साथ तुम्हें बुला रहा है। आगे बढ़ो, थाम लो अपनी खुशहाल जिंदगी का दामन और आशाओं के उन्मुक्त आसमान में उड़कर अपने सपनों को साकार करो।

सरकारी अधिवक्ता ललित कुमार शर्मा ने कहा- पीड़िता को उसकी मां ने गांव में बड़े पापा के पास भेज दिया था। 9 मार्च 2023 की प्रातः पिता उसे फिर से घर ले आया तथा जबरदस्ती करने लगा। तत्पश्चात, उसने साहस कर 9 मार्च 2023 को उद्योग नगर थाने में शिकायत दी थी। शिकायत के चलते वो बालिग हो गई थी। पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। पीड़िता के 164 के बयान करवाए गए। पीड़िता ने अपने बयानों में बताया कि 14 वर्ष की आयु से ही पिता उससे बलात्कार करता आ रहा है। पुलिस ने पिता को गिरफ्तार कर अदालत में उसके खिलाफ चालान पेश किया। अदालत में 11 गवाह व 18 दस्तावेज पेश किए गए थे। अदालत ने 7 महीने की सुनवाई के पश्चात् सजा सुनाई। 10 हजार का अर्थदंड लगाया गया है। अदालत ने पीड़िता को पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत 10 लाख की आर्थिक सहायता की भी अनुशंसा की है।

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