सबसे बड़ा सवाल... कौन बनेगा मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री? सामने आ रहे है ये नाम

 

भोपाल: मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ इन तीनों प्रदेशों में चुनाव के परिणाम पूरी तरह से भाजपा के पक्ष में जाते नजर आ रहे हैं। तीनों प्रदेशों में भाजपा प्रचंड जीत की तरफ बहुत आगे बढ़ गई है। ऐसे में मध्यप्रदेश में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि भाजपा की तरफ से कौन बनेगा मुख्यमंत्री? राजनीतिक  दिग्गजों की नजर में कुछ ऐसे नाम हैं, जो आपको हैरान कर सकते हैं।दरअसल, तीनों प्रदेशों में भाजपा ने प्रधानमंत्री मोदी के फेस पर चुनाव लड़ा है। इसलिए दूसरे चेहरे गौण हो गए। ये सच है कि शिवराज की योजनाओं ने मध्यप्रदेश के मतदाताओं पर प्रभाव किया, 'लाड़ली लहर' भी चली, किन्तु यह भी सच है कि पार्टी ने उन्हें सीएम प्रोजेक्ट नहीं किया। पूरी तरह से प्रधानमंत्री मोदी के फेस पर ही चुनाव लड़ा गया। इस बार तो नारा भी चला कि 'मोदी के मन में एमपी, एमपी के मन में मोदी'। जानिए कौन बनेगा मुख्यमंत्री, इस पर राजनीतिक विश्लेषकों की राय। 

इस बार भाजपा ने 7 सांसदों और एक पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को चुनाव लड़ाया। इससे यह तय हो गया था कि शिवराज के अतिरिक्त भी कोई मुख्यमंत्री हो सकता है। इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री फेस प्रोजेक्ट नहीं किया गया। इसलिए ये नारा चला कि मोदी के मन में एमपी, एमपी के मन में मोदी। इस नारे ने प्रभाव किया और मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा, यह बात गौण हो गई। अब ये सवाल उठ रहा है कि मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा?

मुख्यमंत्री पद की दौड़ में जो नाम विश्लेषक बता रहे हैं वो हैरान करने वाला है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, 'सबसे पहला नाम उनकी नजर में प्रहृलाद पटेल का है। इसकी वजह वे बताते हैं कि प्रहृलाद पटेल भी OBC हैं। उनकी छवि निर्विवाद है, महाकौशल से आते हैं, इस इलाके से कोई मुख्यमंत्री नहीं बना है। इस इलाके पर भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है। ये भी बड़ा कारण है। यही नहीं, प्रह्लाद पटेल केंद्रीय मंत्री हैं, शिवराज सिंह के प्रशंसक है। साथ ही प्रह्लाद पटेल एक्सेप्टेबिलीटी है तथा विशेष बात है कि प्रधानमंत्री मोदी भी उन्हें पसंद करते हैं।  

कैलाश विजयवर्गीय पर क्या है विश्लेषकों की राय? कैलाश विजयवर्गीय पर राजनीतिक विश्लेषकों ने बताया कि वे मुख्यमंत्री पद के लिए उतने ताकतवर नहीं हैं, क्योंकि वे बनेंगे तो शिवराज सिंह उनका विरोध कर सकते हैं। आम एक्सेप्टेबिलिटी नहीं हैं। उनकी छवि माफिया की है, उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय के पुराने मामले की वजह से स्वयं प्रधानमंत्री मोदी कैलाश विजयवर्गीय से खफा रहे हैं। ऐसे में उनका नाम पुरजोर तरीके से मुख्यमंत्री पद के लिए नहीं हा सकता। वहीं दूसरी तरफ वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ हेमंत पाल ने भी बताया कि कैलाश विजयवर्गीय वे अमित शाह के जरूर खास हैं, मगर मुख्यमंत्री पद के लिए आखिरी पसंद हो सकते हैं ​भाजपा की। 

सिंधिया पर क्या है राय? राजनीतिक विश्लेषकों ने सिंधिया को भी नकार दिया है। क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कई समर्थक उम्मीदवार चुनाव हार गए। वे केंद्र की राजनीति में ही स्वयं को महफूज मानते हैं। सिंधिया को लेकर भाजपा में भी अंतरविरोध है। इस वजह से उन पर एकराय नहीं बन सकती है। 

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, नरेंद्र तोमर को भी जीत का श्रेय देना चाहिए क्योंकि उन्हें चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया। इसलिए प्रचंड जीत मिल रही है। इसलिए उनका नाम भी मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे टॉप में हो सकता है। भाजपा को 135 सीट से अधिक जीत के आसार नहीं दिखाई दे रहे थे। 150 प्लस होंगे, ये उन्होंने भी नहीं सोचा था। लेकिन भाजपा को बंपर जीत मिली। इसका श्रेय नरेंद्र तोमर को भी दिया जा रहा है।

मध्यप्रदेश में ये नाम भी सबसे अधिक चौंका रहा है, वो है फग्गनसिंह कुलस्ते का। फग्गनसिंह कुलस्ते जो आदिवासी नेता है तथा भाजपा के काफी वरिष्ठ नेताओं में उनका नाम शुमार है, ऐसे में उनका नाम भी सामने आ रहा है। आदिवासी मतदाताओं में उनकी अच्छी पकड़ है। आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति के रूप में भी उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।

शिवराज सिंह चौहान पर भी फिर दांव, जानिए क्यों हैं वे मजबूत प्रतियोगी? इस बार भले ही उनके नाम पर चुनाव नहीं लड़ा गया, किन्तु शिवराज सिंह भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हैं। उन्हीं के चुनाव प्रचार और उन्हीं की लाड़ली बहना योजना को लेकर चुनाव लड़ा गया। बड़ी बात यह है कि उन्हीं के शासनकाल में बीजेपी जीती है। ऐसे में उन्हें फिर मुख्यमंत्री बनाया जाए, तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।

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