आज तमिल नववर्ष है. ऐसे में पुथंडू को तमिल नए साल के रूप में भी जाना जाता है और यह तमिल नए साल के पहले दिन का उत्सव है, जो चित्तरी तमिल कैलेंडर के महीने के पहले दिन में आता है. वहीं अगर ग्रेगोरियन कैलेंडर की मानी जाए तो यह 14 अप्रैल को पड़ता है यानी आज. ऐसे में चिटरई तमिल सौर कैलेंडर का पहला महीना है, और पुथंडू नए साल के आगमन का प्रतीक है. आप सभी को बता दें कि यह दिन तमिलनाडु और पांडिचेरी में बहुत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है. वहीं पुथंडू को लोकप्रिय रूप से वृष पीरप्पु 'के रूप में भी जाना जाता है. ऐसे में आज हम बताने जा रहे हैं इस दिन क्या-क्या किया जाता है. अनुष्ठान : इस दिन की पूर्व संध्या पर आम , केला, कटहल, सुपारी, सुपारी, सोने के सिक्के, चांदी के सिक्के, पैसा, फूल और एक दर्पण के साथ एक प्लेट की व्यवस्था की जाती है. वहीं इस दिन जागने के बाद इस प्लेट को सुबह जल्दी देखना पड़ता है. कहते हैं इस अनुष्ठान को कन्नी के नाम से जाना जाता है,कन्नी की रस्म नए साल में खुशी और समृद्धि लाती है. वहीं घर के प्रवेश द्वार को विस्तृत कोलम या रंगोली से सजाया गया है. आप सभी को बता दें कि कोलम के मध्य को कुहुतविल्लक्कु 'से सजाया गया है, जो एक दीपक का प्रतीक है. लोग सुबह जल्दी नहाते हैं और देवताओं को पोंगल चढ़ाते हैं. इसी के साथ इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं. वे भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिरों में भी जाते हैं. युवा परिवार के सदस्यों और बच्चों को पुथांडु के बड़ों से उपहार या पैसे मिलते हैं. कहा जाता है पुथंडू का दिन ब्राह्मण भोज करने के लिए बहुत शुभ है. प्रधान पुजारी भी पंचांगम पढ़ते हैं. इसी के साथ इस दिन 'कई परिवार पुथंडु के दिन अपने पूर्वजों की याद में थारपनम' अनुष्ठान भी करते हैं. वहीं कुंभकोणम के पास तिरुविदिमारुदुर में पुथंडु के अवसर पर एक कार उत्सव आयोजित किया जाता है और मदुरै में, मीनाक्षी अम्मन मंदिर में चिताई पोरुताचैची के नाम से एक विशाल प्रदर्शनी आयोजित की जाती है. आप सभी को बता दें कि तमिल लोग इसे बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं. कंगाल से मालामाल हो जाएंगे आप अगर मान ली गरुड़ पुराण की यह 1 बात अगर आपके साथ हैं भगवान तो आपको मिलते हैं यह संकेत कुंवारी लड़कियों को भूल से भी छूना चाहिए शिवलिंग, जानिए क्या है वजह?