पेगासस केस: जब हम सुनवाई कर रहे हैं, तो अपने कमिटी क्यों बनाई ? ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने पेगासस विवाद की जांच के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश मदन लोकुर की अध्यक्षता में जांच आयोग के गठन को चुनौती देने वाली याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस भेजा है. CJI एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सीएम ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब माँगा है. हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जांच आयोग गठित करने को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी.

याचिका में कहा गया है कि जब शीर्ष अदालत खुद इस मामले की सुनवाई कर रहा है, तो ममता सरकार ने आयोग का गठन क्यों किया? दरअसल, ममता सरकार ने 27 जुलाई को नोटिफिकेशन जारी करते हुए पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकुर के नेतृत्व में एक आयोग का गठन किया. बता दें कि राज्य सरकार की इस जांच कमेटी में उच्च न्यायालय के दो रिटायर्ड जज भी शामिल किए गए हैं. ये समिति बंगाल में फोन हैकिंग, ट्रैकिंग और फोन रिकॉर्डिंग के आरोपों की जांच करेगी.

हालांकि, इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने फिलहाल बंगाल सरकार के आयोग की कार्रवाई पर रोक नहीं लगाई है. शीर्ष अदालत में मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को की जाएगी. अदालत में NGO ग्लोबल विलेज फाउंडेशन ने याचिका दाखिल कर कहा कि सैन्य ग्रेड स्पायवेयर पेगासस के मामले तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा फोन की कथित हैकिंग की राष्ट्रीय स्तर पर जांच की आवश्यकता है. जासूसी मामले में SIT जांच की मांग वाली याचिकाओं पर शीर्ष अदालत सुनवाई भी कर रही है. उन्होंने कहा कि पेगासस मामले में गंभीर जांच की आवश्यकता है. इसे लेकर अलग-अलग जांच नहीं कि जा सकती.

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