क्या आप भी घूमना चाहते हैं सुप्रीम कोर्ट ? यहाँ जानें टूर का पूरा प्रोसेस

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय को आम नागरिकों, खासकर युवाओं के नजदीक लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का साप्ताहिक गाइडेड टूर शुरू किया गया था. कोरोना की वजह से दो वर्षों तक स्थगित रहे इस गाइडेड टूर ने शुरू होते ही शतक लगा दिया है. 7 मार्च 2020 से 2 अप्रैल 2022 तक, यानी दो वर्षों तक गाइडेड टूर स्थगित रहा. 2018 से मार्च 2020 तक 99 टूर हो चुके थे. दो साल तक कोरोना और 99 के फेर में पड़े रहने के बाद अब अप्रैल 2022 में जब टूर आरंभ हुआ, तो शतक के साथ. स्थितियां सामान्य हुईं तो 9 अप्रैल को सौवें जत्थे ने शीर्ष अदालत का भ्रमण किया. 

सन 2018 में शुरू हुए इस गाइडेड टूर की कहानी भी उतनी ही दिलचस्प है, जितनी सर्वोच्च न्यायालय की गाथा. इस अनूठे गाइडेड टूर की शुरुआत हुई चीफ जस्टिस (CJI) रंजन गोगोई के कार्यकाल में. रंजन गोगोई ने अक्टूबर 2018 में कार्यभार संभाला और 8 नवंबर की सुबह इस टूर का आगाज़ हुआ. शीर्ष अदालत के दरवाजे 8 नवंबर 2018 को आम जनता के भ्रमण के लिए खुल गए थे, वो भी समुचित स्वागत के साथ. उत्सुकता और जिज्ञासा का केंद्र रहे सर्वोच्च न्यायालय परिसर में आम जनता बिना किसी मुकदमे के दाखिल होकर यहां की हरेक बारीक चीज की जानकारी घूम-घूम कर हासिल कर सकता है, वह भी पूरी तरह निःशुल्क.

सार्वजनिक अवकाश का दिन न हो तो प्रत्येक शनिवार को लोग पहले से ऑनलाइन बुकिंग कराकर सुबह दस बजे और 11.30 am वाली पाली में शीर्ष अदालत के गलियारे, प्रधान न्यायाधीश का कोर्ट रूम, जजों की लाइब्रेरी और म्यूजियम समेत लगभग घंटे भर तक परिसर के बड़े हिस्से का भ्रमण कर सकते हैं. स्लॉट टाइमिंग से घंटे भर पहले PRO ऑफिस में अपने ओरिजनल फोटो और आवासीय पते वाले पहचान पत्र के साथ जाना होता है. 

इस टूर के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के अधिकारी गाइड की तरह लोगों के साथ रहते हैं और जानकारी देते रहते हैं. इस दौरान वे लोगों को सर्वोच्च न्यायालय की इमारत की खासियत और खूबियां, दिलचस्प जानकारियां और ऐतिहासिक महत्व बताते चलते हैं. अमूमन 30 से 40 लोग एक समूह में होते हैं. इस टूर के दौरान बैग, कैमरा, मोबाइल फोन वगैरह साथ रखने का प्रबंध नहीं होता. ऐसे में खाली हाथ के जरूरत भर का सामान ही साथ रखना सही रहता है. हालांकि, मोबाइल साथ न ले जाने का अफसोस आपको उतना नहीं होगा, क्योंकि शीर्ष अदालत की भव्य इमारत की ऐतिहासिक सीढ़ियों पर पूरे समूह की तस्वीर खींची जाएगी और आपको उसी शाम सौंपी जाएगी. शीर्ष अदालत की यादगार यात्रा का लुत्फ कोई भी आम नागरिक बिना कोई कीमत चुकाए मुफ्त में ले सकता है.

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