विजय माल्या केस: सुप्रीम कोर्ट ने अपनी ही रजिस्ट्री से मांगी सफाई, कही ये बात

लंदन: शीर्ष अदालत ने भगोड़ा शराब कारोबारी विजय माल्या द्वारा कोर्ट की अवमानना के मामले में अपनी ही रजिस्ट्री से सफाई मांगी है कि शराब कारोबारी विजय माल्या को अवमानना का दोषी ठहराने के मई 2017 के फैसले पर पुनर्विचार के लिये उसकी याचिका तीन वर्ष तक सूचीबद्ध क्यों नहीं हुयी?

दरअसल 2017 के उस फैसले में माल्या को संपत्ति की जानकारी छिपाने पर कोर्ट की अवमानना का दोषी पाया गया था. जिसके बाद माल्या ने 2017 के उस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की है. न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की बेंच ने 16 जून को विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को तीन वर्ष तक इस पुनर्विचार याचिका से जुड़ी फाइल देखने वाले अधिकारियों के नाम सहित सारा विवरण पेश करने के लिए कहा गया है.

अदालत के 16 जून के आदेश में कहा गया है, 'हमारे सम्मुख पेश रिकार्ड के मुताबिक, पुनर्विचार याचिका पिछले तीन साल से अदालत के समक्ष पेश ही नहीं की गयी. पुनर्विचार याचिका में उठाये गये मुद्दों पर गौर करने से पहले हम रजिस्ट्री को यह साफ़ करने का निर्देश देते हैं कि पिछले तीन वर्षों में यह याचिका संबंधित अदालत के सामने पेश क्यों नहीं की गयी.'

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