युवाओं और देश का दर्द बयान करते खुदकुशी के ये आंकड़े

हाल ही के महीनों में भय्यू महाराज, पुलिस अफसर राजेश साहनी के साथ-साथ कई बड़ी हस्तियों और आम नागरिकों की आत्महत्या की खबरें आपने पड़ी होगी. देश भर में युवाओं में आत्महत्या की प्रवर्ति बढ़ रही है. आंकड़े इसकी गवाही दे रहे है. एक रिपोर्ट ने इस मामले में कई खुलासे किये है जो सचमुच भयावह है. नेशनल हेल्थ प्रोफ़ाइल 2018 में खुदकुशी से जुड़े आंकड़े की रिपोर्ट के अनुसार-

भारत में खुदकुशी करने वालों में सबसे ज़्यादा युवा हैं.  आत्महत्या की घटनाओं में 15 साल में 23 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ. परीक्षाओं में फेल होने के कारण 2646 लोगों ने आत्महत्या की थी.  प्रेम प्रसंग के कारण भी 4476 लोगों ने अपनी जिंदगी को खत्म कर लिया.  बेरोजगारी के कारण देश में करीब 2723 लोग मारे गए   प्रोफेशनल जिंदगी में हताशा के चलते 1590 लोगों ने ख़ुदकुशी की  रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 में एक लाख 33 हज़ार से ज़्यादा लोगों ने खुदकुशी की  2000 में ये आंकड़ा केवल एक लाख आठ हज़ार के क़रीब था.  आत्महत्या करने वालों में 33 प्रतिशत की उम्र 30 से 45 साल के बीच थी आत्महत्या करने वाले क़रीब 32 प्रतिशत लोगों की उम्र 18 साल से 30 साल के बीच थी. खुदकुशी करने वालों में पुरुषों की गिनती महिलाओं से कहीं ज़्यादा है. 2015 में 91,500 से ज़्यादा पुरुषों ने खुदकुशी की.  कुल आंकड़े का 68 प्रतिशत से भी ज़्यादा है, महिलाओं की गिनती 42 हज़ार से कुछ ज़्यादा रही. खुदकुशी करने वालों की कुल गिनती का साढ़े 31 प्रतिशत है. सबसे नए 2015 के आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र राज्य में सबसे ज्यादा 1230 युवाओं ने आत्महत्या की थी, जो कुल आंकड़े (8934) का 14% है.  इसके बाद दूसरे नंबर पर तमिलनाडु (955) और तीसरे पर छत्तीसगढ़ (625) आता है.

 

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