कांग्रेस के बाद सबसे पुरानी पार्टी ने अपने 100 वे साल में रखा कदम, जानिए सक्षिप्त इतिहास

अपनी स्थापना के सौवें साल में शिरोमणि अकाली दल प्रवेश कर रहा है. आज (14 दिसंबर) को पार्टी का स्थापना दिवस है. देश में इससे पुरानी पार्टी कांग्रेस ही है. ऐतिहासिक गुरुद्वारों को महंतों के कब्जे से आजाद करवाने के लिए तैयार किया गया दल ही बाद में अकाली दल बन गया. अहम बात यह है कि अकाली दल की स्थापना व्यक्ति विशेष के बजाय पंथ को समर्पण के रूप में की गई थी. इसका स्वर्णिम इतिहास रहा है.

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आज भी बुजुर्गों के मनों में यह बात है कि अगर वह वोट करेंगे तो पंथ को ही करेंगे. दरअसल, खालसा पंथ की स्थापना के बाद कोई भी बड़ा फैसला अकेले लेने और पंथ के एकजुट होकर लेने के अंतर को ध्यान में रखकर ऐसा किया गया. यह बात अलग है कि आज 99 साल बाद अकाली दल एक परिवार की पार्टी होकर रह गया है.पार्टी के सभी अहम पदों पर परिवार के लोग ही काबिज हैं.

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जब से मौजूदा प्रधान सुखबीर बादल के हाथ में पार्टी की कमान आई है तब से अकाली परंपराओं में काफी कुछ बदल गया है. प्रमुख फैसले गुरुद्वारों के बजाय अब पार्टी मुख्यालय, होटल या बड़े मैरिज पैलेस में लिए जाते हैं, जबकि पहले प्रमुख फैसले श्री गुरु ग्रंथ साहिब की हाजिरी में गुरुद्वारों में ही लिए जाने की परंपरा रही है, इसलिए सभी बड़े गुरुद्वारों में मंजी साहिब दीवान हाल बने. गुरुद्वारे हमेशा ही सिखों के लिए धार्मिक और सामाजिक जिंदगी का केंद्र रहे हैं.

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