सचिन पायलट पर सबकी निगाहे, क्या इस राज्य में भी देखने को मिलेगा बड़ा उलटफेर ?

राजस्थान में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ने लगी है. इस राजनीतिक हलचल की वजह एमपी की सियासत को माना जा रहा है. मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान पर भाजपा नेतृत्व की नजर को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे सक्रिय हो गए हैं. गहलोत कांग्रेस के 101 विधायकों के साथ ही पार्टी को समर्थन देने वाले 12 निर्दलीय विधायकों के संपर्क में है.

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अपने सिपहसालारों को गहलोत ने एक-एक विधायक के पीछे लगा दिया है. हालांकि पार्टी विधायक दल और निर्दलीयों में अपने समर्थकों की अधिक संख्या को देखते हुए गहलोत पूरी तरह से आश्वस्त हैं. कांग्रेस के दिग्गजों का मानना है कि प्रदेश में करीब 14 माह पूर्व सत्ता संभालने के बाद से ही गहलोत और उप मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच तकरार चल रही है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि कई अवसर ऐसे आए जब पायलट ने अपनी ही सरकार को घेरा.चाहे कोटा में बच्चों की मौत का मामला हो या फिर बाड़मेर,नागौर में दलितों के साथ मारपीट का प्रकरण हो,पायलट ने हमेशा अपनी ही सरकार को घेरा. भष्टाचार और विधायकों एवं कांग्रेस कार्यकर्ताओं की सरकार में सुनवाई नहीं होने के मुद्दे को लेकर भी पायलट ने सार्वजनिक रूप से आलोचना की. लेकिन गहलोत ने एक मंझे हुए राजनीतिक खिलाड़ी की तरह पायलट के बयानों का कोई जवाब नहीं दिया. भाजपा विधायक दल के नेता गुलाब चंद कटारिया और उप नेता राजेंद्र राठौड़ कह रहे हैं कि मध्यप्रदेश के बाद अब राजस्थान की बारी है. लेकिन गहलोत के निकट माने जाने वाले प्रदेश के खेल राज्यमंत्री अशोक चांदना और निर्दलीय विधायक राजकुमार गौड़ का दावा है कि प्रदेश में कोई मुश्किल नहीं है.कांग्रेस की सरकार गहलोत के नेतृत्व में पांच साल पूरे करेगी .

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