'जय श्री राम' के नारों से गूंजी सड़कें, 6 करोड़ साल प्राचीन शिला से बनेगी राम-सिया की प्रतिमा

अयोध्या: नेपाल की काली गंडकी नदी से मिले 6 करोड़ वर्ष प्राचीन 2 विशाल शालीग्राम पत्थरों से भगवान श्रीराम के बाल स्वरूप की प्रतिमा और माता सीता की प्रतिमा बनाई जाएगी. रामलला की प्रतिमा 5 से साढ़े 5 फीट की बाल स्वरूप की होगी. मूर्ति की ऊंचाई इस तरह निर्धारित की जा रही है कि रामनवमी के दिन सूर्य की किरणें सीधे रामलला के मस्तक पर पड़ें. अयोध्या में बन रहे रहे श्रीराम मंदिर के लिए ये पत्थर नेपाल अयोध्या के लिए रवाना हो चुके हैं. जहां-जहां से ये पत्थर निकल रहे हैं, वहां-वहां इन्हें छूने के लिए, इनके दर्शन करने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ रहा है. इस दौरान सड़कें जय श्री राम, जय जय सिया राम जैसे नारों से गुंजायमान हो रहीं हैं।  

 

बता दें कि, शिला का 26 जनवरी 2023 को गुरुवार के दिन गलेश्वर महादेव मंदिर में रुद्राभिषेक किया गया. यह पत्थर दो ट्रकों पर रखकर सोमवार (30 जनवरी) के दिन अयोध्या के लिए निकल चुके हैं. ये नेपाल से भारत के बिहार से होते हुए 31 जनवरी 2023 को गोपालगंज के रास्ते उत्तर प्रदेश में दाखिल होंगे.  वहां से कुशीनगर होते हुए जगदीशपुर से होते हुए गोरखपुर में शाम 4 बजे तक पहुंचेंगे. इन पत्थरों के गोरखपुर पहुंचने से पहले यहां कार्यकर्ता और आम जनमानस में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है. यात्रा का गोरखपुर में प्रवेश होने पर कुसमी में भव्य तरीके से स्वागत किया जाएगा. 

 

एक फरवरी को गोरखपुर से अयोध्या के लिए रवाना होगी शिला 

गोरखनाथ मंदिर पहुंचने के बाद पूज्य संतों के हिंदू सेवाश्रम पर शिलाओं का स्वागत-पूजन किया जाएगा. इसके बाद यात्रा में शामिल सभी लोगों का मंदिर में भोजन एवं विश्राम होगा. अगले दिन 1 फरवरी की सुबह यात्रा का विधि-विधान से पूजन कर उनको अयोध्या जी के लिए गोरक्ष पीठाधीश्वर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के द्वारा रवाना किया जाएगा.

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