शनि जयंती पर करें राजा दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ, ख़त्म होगी हर बाधा

शनिदेव न्याय प्रिय देवता हैं तथा मनुष्य को उसके कर्मों के आधार पर फल देते हैं. हिंदू पंचांग में ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है. इस दिन पूजा-अर्चना करने से शनिदेव की खास कृपा मिलती है. शनि जयंती पर दान-दक्षिणा की भी खास अहमियत होती है. हिंदू शास्त्रों के मुताबिक, इस दिन शनिदेव का का जन्म हुआ था. इस बार शनि जयंती 19 मई, शुक्रवार को मनाई जाएगी. इस दिन शनि देव के पूजन का खास विधान है. वही शनि जयंती के दिन दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। धार्मिक कथाओं के मुताबिक, राजा दशरथ ने शनि देव को प्रसन्न करने के लिए इस स्तोत्र की रचना की थी। इस स्तोत्र का पाठ करने से राजा दशरथ से भगवान शनिदेव प्रसन्न हुए थे। 

राजा दशरथ कृत शनि स्तोत्र:- नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च। नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।   नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च। नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।   नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ  वै नम:। नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।   नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:। नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।   नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते। सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।   अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते। नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।   तपसा दग्धदेहाय नित्यं  योगरताय च। नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।   ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे। तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।   देवासुरमनुष्याश्च  सिद्घविद्याधरोरगा:। त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।   प्रसाद कुरु  मे  देव  वाराहोऽहमुपागत। एवं स्तुतस्तद  सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।

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