डीएसपी का पद छोड़ राजनीती में आए थे रामविलास पासवान

देश के दिग्गज दलित नेता एवं केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का आज ही के जन्म हुआ था। पिछले वर्ष ही रामविलास पासवान का निधन हुआ है। खगड़िया जिला के शहरबन्नी गांव में जन्में रामविलास पासवान ने कोसी कॉलेज, खगड़िया से स्नातक एवं पटना विश्वविद्यालय से एमए किया। तत्पश्चात, 1969 में उनका चयन डीएसपी पद के लिए हुआ मगर उन्हें पुलिस सेवा में नहीं जाना था इसलिए डीएसपी जैसे पद को छोड़ कर पासवान संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर विधायक बने। 

तत्पश्चात, 1970 में पासवान एसएसपी के जॉइंट सेक्रेटरी बनाए गए। पांच वर्ष पश्चात् इंदिरा गांधी की आपातकालीन का विरोध करने पर उन्हें जेल जाना पड़ा तथा 1977 में जेल से रिहा हुए। इसके पश्चात् उन्हें 1985 में लोकदल का महासचिव बनाया गया। इसके पश्चात् पासवान ने 1987 में जनता दल का महासचिव पद संभाला। पासवान बहुत मिलनसार तथा दोस्ताना व्यवहार वाले रहे थे। आरम्भ से ही सियासत में जयप्रकाश नारायण, कर्पूरी ठाकुर, राजनारायण तथा सत्येंद्र नारायण सिन्हा से पासवान की बहुत नजदीकियां रहीं थीं। 

वही पासवान दूरदर्शी थे इसलिए 2002 में जब गुजरात विवाद हुआ तब उन्होंने मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया था। इस समय वो जानते थे कि एनडीए का पतन होना जल्द है। उन्होंने यह देख लिया था कि भाजपा एवं बसपा साथ होने जा रही है जिसके कारण मायावती को उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री का पद मिला। इसी गठबंधन में 2004 में पासवान को केंद्र में रसायन एवं उर्वरक मंत्री बनाया गया तथा उन्होंने फिर एक बार इस्पात मंत्रालय का भी प्रभार संभाला। मगर डायरेक्ट फॉरेन इंवेस्टमेंट के मुद्दे को लेकर उन्होंने यूपीए 2012 में छोड़ दिया।

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