आॅटोमेशन के कारण कम हुई मानव श्रम की जरूरत, घटते जाॅब को बढ़ाने का प्रयास कर रही केंद्र सरकार

नई दिल्ली। रोजगार प्राप्ति की घटती दर और कम होते नौकरियों के अवसर के बीच युवाओं के लिए यह उत्साह की बात है कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्ववाली केंद्र सरकार द्वारा रोजगार बढ़ाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न मंत्रालयों को निर्देश दिया है।

जिसमें कैबिनेट को भेजे जाने वाले प्रस्तावों को लेकर जानकारी देने की बात कही है और कहा है कि जो प्रस्ताव कैबिनेट को भेजे जाते हैं उन्हें अमल में लाने से आखिर रोजगार के कितने अवसर सृजित होंगे। रोजगार सृजन को लेकर वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक समाचार पत्र को जानकारी देते हुए कहा कि जो प्रस्ताव सामने आएगा उससे रोजगार सृजन की संभावनाओं को देखते हुए उस पर खर्च किया जाना चाहिए।

इसे लेकर एक जाॅब असेसमेंट भी दिया जाना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नौकरियों के सृजन को लेकर बेहद गंभीर हैं। यदि कोई भी प्रस्ताव चर्चा के लिए सामने आता है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट बैठक में सवाल करते हैं कि इससे रोजगार के कितने अवसर सृजित होंगे। नीति आयोग ने तीन वर्ष का एक्शन प्लान प्रस्तुत कर दिया है। इस दौरान विभिन्न सेक्टर्स में रोजगार सृजन की बात कही गई है।

मिली जानकारी के अनुसार वित्तवर्ष 2012 से 2016 के मध्य रोजगार के 1.46 करोड़ अवसर सृजित हुए थे। प्रतिवर्ष 36.5 लाख मौके कामकाजी आयु वाले वर्ग में 8.41 करोड़ की बढ़ोतरी हुई थी लेकिन इस अनुपात में श्रम बल नहीं बढ़ा और इसकी संख्या 2.1 करोड़ थी। उनका कहना था कि जो मशीनीकरण हुआ है उसके कारण आॅटोमेशन की स्थिति बनी है और इस वजह से मानव श्रम कम हो गया है।

बड़े पैमाने पर करीब 15 लाख से भी अधिक लोग प्रति माह देश के जाॅब मार्केट में रोजगार तलाशने के लिए आते हैं। मगर जाॅब बहुत कम लोगों को मिलता है। दरअसल केंद्र सरकार के गठन के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी प्रचार के दौरान 1 करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा किया था लेकिन तीन वर्षों के कार्यकाल में रोजगार सृजन और रोजगार प्रदान करने के मामले में सरकार का ग्राफ पिछड़ गया है। जिसे लेकर कहा गया है कि सरकार प्रयास कर रही है।

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