2020 के बाद दिखा पायलट का नया चेहरा, जानिए गहलोत के मुकाबले है कितने मजबूत?

आज यानी 7 सितंबर को कांग्रेस के युवा चेहरे सचिन पायलट का जन्मदिन हैं। पायलट के जन्मदिन को लेकर एक दिन पहले उनके समर्थकों के जुनून एवं जोश का गवाह राजधानी जयपुर का सिविल लाइंस बना जहां पायलट के नारों तथा पोस्टरों से सराबोर स्थिति में लोग उनकी एक झलक पाने के लिए उत्साहित रहे। वहीं पायलट के बंगले से उन्हें सीएम बनाने के नारों की गूंज दिनभर रही। सचिन पायलट ने देश से लेकर राजस्थान की सियासत के कई रंग देखे हैं किन्तु राजस्थान की राजनीति में वह एक बार अशोक गहलोत से गच्चा खा चुके हैं।

हालांकि उनके समर्थक राजस्थान की राजनीति के भावी सेनापति के तौर पर उन्हें देखते हैं किन्तु कहा जाता है कि अशोक गहलोत के रहते यह संभव हो पाना कठिन है। राजनीतिक अखाड़ें में गहलोत अक्सर पायलट को विरासत में प्राप्त हो राजनीति पर हमला बोलते हुए संघर्ष, रगड़ाई जैसे शब्दों से निशाना साधते हैं। वहीं पायलट आलाकमान का जिक्र करते हुए समर्थकों के बीच एक सहानूभुति फैक्टर मजबूत करते जा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ पायलट समर्थकों के बीच शांत एवं ‘समय आने पर बता देंगे’ वाली छवि के तौर पर मशहूर है। हालांकि पायलट ने 2020 की राजनीति बगावत के बाद स्वयं की सियासी चालों में बहुत परिवर्तन किया है। बीते लगभग 25 महीने से वह बिना किसी पद से संगठन एवं सरकार में काम कर रहे हैं। हालांकि वक़्त-वक़्त पर सरकार को घेरने का अवसर पाय़लट भी नहीं छोड़ते हैं।

 

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सचिन पायलट को 2018 के विधानसभा चुनावों से पूर्व अजमेर लोकसभा चुनाव पराजित करने के पश्चात् कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपी गई थी तथा उनके पास राजस्थान में कांग्रेस की सरकार वापस लाना एक बड़ा चैलेंज था। पायलट ने चुनावों को लेकर योजना तैयार की तथा 2018 में सरकार लौटी। कहा जाता है कि पायलट के कुशल प्रबंधन के चलते ही 2018 में कांग्रेस को चुनावों में लाभ हुआ। कांग्रेस सरकार के बनने पर पायलट की ताजपोशी तय थी किन्तु सेहरा गहलोत के सिर बंधा। वहीं पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। इसी के बाद से प्रदेश की राजनीति में दो पावर सेंटर बन गए तथा पायलट गुट और गहलोत गुट के नाम से राजनीतिक दावपेंच चलने लगे। हालांकि पायलट ने 2020 में आलाकमान से उचित सम्मान मिलने के पश्चात् पिछले लगभग 2 साल से संयम बनाए रखा है। वहीं उनके कुछ समर्थित विधायक वक़्त-वक़्त पर उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग दोहराते रहते हैं। इसके अतिरिक्त माना जाता है कि गहलोत जनता के बीच काफी मशहूर हैं तथा उनका जनता से एक सीधा कनेक्ट है। वहीं पायलट ने 2018 से पहले बहुत वक़्त दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में बिताया है। हालांकि 2018 के बाद पायलट ने घोषणा कर दी थी कि वह अब राजस्थान छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। बता दे कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं के अतिरिक्त 21 मंत्री-विधायक पायलट को जन्मदिन की बधाई देने पहुंचे जिनमें से 3 मंत्री तथा 7 गहलोत गुट से आते हैं।

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