गुलाम अली साहब की रूहानी गजलों के दीवाने है लोग

गजलों के सरताज गुलाम अली साहब को तो आप सभी ने सुना ही होगा। उनकी गजलें हमारी व्यस्त जिंदगी में एक ठहराव सा लेकर आ जाती है, इसीलिए हर जगह गुलाम अली को उनकी गजलों के लिए बेशुमार प्यार भी दिया जा रहा है। उनकी गजलों को लोग दिल से सराहते और मन से गाते व सुनते हैं।

अपनी रूहानी गायकी से गुलाम अली साहब पूरी दुनिया में जाने और पहचाने भी जा रहे है। गुलाम अली साहब का जन्म 5 दिसंबर 1940 को हुआ। बचपन से ही गायकी के शौकीन गुलाम साहब ने बड़े गुलाम अली साहब से गजलों की तालीम भी ली है। आज उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनकी सबसे खास गजलों के बारे में जानेंगे। जिन्हें लोगो ने अपने दिल से बहुत प्यार दिया है। 

'ये दिल ये पागल दिल मेरा' और 'चुपके चुपके रात दिन: उनकी ये गजलें देश- विदेशों के लोगों के दिल को भी जीत चुकी है। दोनों ही गजलें वर्ष 1980 में आईं,जिसे आज भी याद भी किया जा रहा है। इसे सुनने वाले अपनी ही दुनिया में खो जाते है। गुलाम अली साहब की आवाज लोगों के दिलों में एक रूहानी सुकुन भरने का काम करते है। 

 

'चमकते हुए चांद को टूटा तारा बना डला': गुलाम अली साहब की सभी गजलों में से उनकी यह गजल सबसे अधिक पॉपुलर है। यह गजल 1990 में रिलीज हुए एलबम में से एक है जिसे मशहूर संगीतकार अनु मलिक से अपना संगीत दिया है। लोगों द्वारा इस गजल को बेशुमार प्यार दिया गया। 

 

'हम तेर शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह': गुलाम साहब की यह गजल भी बहुत सुनी जाती है। यह गजल 1996 में रिलीज हुए एलबम की पॉपुलर गजलों में से एक कही जाती है।

 

'वो नहीं मेरा मगर': बता दें कि यह गजल वर्ष 2017 में रिलीज हुईं सबसे पसंदीदा गजलों में एक है, जिसे गुलाम अली साहब के साथ गायिका कविता कृष्णमूर्ति द्वारा गाया गया है। दोनों की जुगलबंदी ने लोगों के मन के मोह चुके है। यह गजल इंडिया सहित पूरी दुनिया में बहुत पसंद की जाती है। गुलाम साहब की ये गजलें लोगों द्वारा खूब पसंद की जाती है। लोग उनकी रूहानी गायकी के लिए उन्हें ढ़ेर सारा प्यार और अपनापन प्रदान करते है। 

 

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