गाय के कंडों से करें होलिका दहन, पर्यावरण संरक्षण के लिए चल रहा जागरूकता अभियान

इंदौर: होली रंगो का त्यौहार आने वाला हैं. जिसको लेकर मौसम धीरे-धीरे होली के रंग में नजर आने लगा हैं. होली की तैयारियां में बाजार सुसज्जित हुए नजर आ रहे हैं. जिसमें रंग-गुलाल-पिचकारी के बीच जो सबसे अहम है, वो है होलिका दहन का उत्सव. हमारी परंपरा एवं प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के बीच लगातार तीन साल से मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में गाय के गोबर के कंडों की होलिका जलाने को लेकर जागरूकता अभियान प्रारम्भ हो गया है. पर्यावरण के साथ पशुधन संरक्षण की इस पहल को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना भी मिल रही है. वहीं, इस साल भी सभी से आग्रह किया जा रहा हैं. होलिका का दहन कंडों से किया जाए. बीते तीन वर्षों में इस अभियान से प्रदेशभर की सैकड़ों संस्थाएं, संगठन, महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे, युवा जुड़े हैं. वहीं, राज्य सरकार, नगर निगमों, नगरीय निकायों और पंचायतों ने भी अपने-अपने स्तर पर समर्थन जताया हैं.

प्रशासनिक अफसरों से लेकर हर शहर के प्रबुद्ध लोगों ने कंडों की होलिका जलाने का आग्रह किया हैं. इस प्रयास से तीन वर्षों में लाखों टन लकड़ियां जलने से बचा ली गईं हैं. वहीं, गोबर के कंडों से होली जलाकर लोगों ने जहां एक ओर गोशालाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में कदम उठाया हैं. इसी के साथ आबो-हवा में लाखों टन प्रदूषक कार्बन को भी घुलने से बचा लिया हैं. इंदौर के 50 व्यापारियों और कारोबारियों ने करीबन पांच साल पहले एक ऐसा फॉर्मूला तैयार किया था, जिसमें गाय अपना खर्च खुद ही निकाल ले. इसके लिए बस इतना आवश्यक था कि गाय के गोबर के कंडों का बड़े पैमाने पर उपयोग हो. ताकि गाय के गोबर के कंडे जलाने से पर्यावरण कम दूषित होता है. इसी के साथ दूसरी और अनुपयोगी माने जाने वाला गोबर आमदनी का माध्यम बन जाता है. उसका निस्तारण भी आसान और प्रयोगी होता है.

आपको बता दे कि एक गाय का रोज का खर्च 40-50 रुपये आता है. यदि गोशाला के अन्य खर्च निकाल दें तो चारे-भूसे के लिए पांच रुपये तक ही अनुदान मिल पाता है. प्रदेश में 1296 गोशालाएं पंजीकृत हैं. जिसमें अनुदान प्राप्त गोशालाएं 640 से अधिक हैं. इसमें 1.60 लाख से अधिक गायें हैं. वहीं, एक गाय रोजाना 10 किलो गोबर देती है. पूरे प्रदेश में 16 लाख किलो गोबर रोजाना मिलता हैं. जिसमें 10 किलो गोबर से पांच कंडे बनाए जा सकते हैं. प्रदेश में आठ लाख से अधिक कंडे बन सकते हैं. यदि कंडा की बिक्री 10 रुपए में होती हैं तो रोज 80 लाख की आय प्राप्त हो सकती है.

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