Nirbhaya Case: गुमनामी में चला गया था दोस्त, डेथ वारंट निकलते ही हुआ खुलासा

नई दिल्ली: करीब 7 साल 22 दिनों के बाद निर्भया को इंसाफ दिलाने में गोरखपुर के अवनींद्र की भूमिका अहम रही है. बस में जिस समय निर्भया के साथ दरिंदगी हुई थी, उस वक्त गोरखपुर के अवनींद्र उसके साथ थे. जंहा अवनींद्र ने दरिंदों से लोहा भी लिया, लेकिन निर्भया को बचा नहीं सके. मामले में वे ही चश्मदीद गवाह भी बने. वहीं अवनींद्र ने न सिर्फ दोस्ती निभाई बल्कि दोषियों को फांसी की सजा दिलाने में अहम कड़ी साबित हुए.  लेकिन निर्भया के गुनाहगारों के खिलाफ लड़ने वाले अवनींद्र घटना के बाद इतने टूट गए थे कि उन्हें संभालने में परिवार को 4 साल लग गए. वहीं अब दोषियों को सजा होने के बाद अवनींद्र ने कहा, आज वास्तव में उनकी दोस्त को इंसाफ मिला है. निर्भया के साथ दरिंदगी करने वाले मुकेश, पवन, अक्षय और विनय को 22 जनवरी को फांसी दी जाएगी. पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों का डेथ वारंट भी जारी कर दिया है. इसकी जानकारी होते ही अवनींद्र की आंखों में आंसू आ गए. 

सूत्रों से मिली जानकारी के बाद दोषियों का डेथ वारंट जारी होने की सूचना मिलने के बाद उन्होंने अपने अधिवक्ता पिता भानू प्रकाश पांडेय से बात की. जानकारी के मुताबिक 16 दिसंबर 2012 की रात निर्भया अपने दोस्त अवनींद्र के साथ नई दिल्ली में बस से जा रहीं थीं. इस दौरान चारों दोषियों ने दरिंदगी की सारी हदें पार कर दीं. इस घटना ने अवनींद्र को अंदर से झकझोर दिया. वे सदमे में चला गए. 

वहीं यह भी कहा जा रहा है कि चश्मदीद गवाह के तौर पर निर्भया के साथ सिर्फ वही मौजूद थे जिनकी गवाही से आरोपियों को सजा होती. काफी लंबे समय तक उन्होंने गुमनामी की जिंदगी व्यतीत की. अवनींद्र के पिता भानू प्रकाश पांडेय घटना का जिक्र होते ही भावुक हो जाते हैं. उनका कहना है कि किसी के लिए कहना और सुनना आसान होता है, मगर उस रात जो घटना हुई और हम लोगों ने कौन से दिन देखे उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकते.

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