चैत्र नवरात्रि का 22 मार्च शुंभारंभ हो गया है। वही आज नवरात्री का तीसरा दिन है, आज चंद्रघंटा माँ की पूजा की जाती है. चंद्रघंटा माँ को दुर्गा माँ के नौ रूपों में से एक माना जाता है और इन नौ रूपों में वह तीसरा रूप होता है। चंद्रघंटा माँ की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। चंद्रघंटा माँ का नाम उनकी चांदी वर्ण वाली चंद्रवट से जुड़ा हुआ है, जो उनके मुख पर पाया जाता है। मां चंद्रघण्टा का प्रभावशाली मंत्र:- ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥ मां चंद्रघंटा के मंत्र:- -बीज मंत्र ऐं श्रीं शक्तयै नम: * स्तुति मंत्र:- पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥ या देवी सर्वभू‍तेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ * ध्यान मंत्र:- वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्। सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम॥ मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम। खंग, गदा, त्रिशूल,चापशर,पदम कमण्डलु माला वराभीतकराम॥ पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम। मंजीर हार केयूर,किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥ प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुगं कुचाम। कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम॥ * मां चंद्रघंटा का स्तोत्र:- आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्ति: शुभपराम्। अणिमादि सिध्दिदात्री चंद्रघटा प्रणमाभ्यम्॥ चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टं मन्त्र स्वरूपणीम्। धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघंटे प्रणमाभ्यहम्॥ नानारूपधारिणी इच्छानयी ऐश्वर्यदायनीम्। सौभाग्यारोग्यदायिनी चंद्रघंटप्रणमाभ्यहम्॥ * मां चंद्रघंटा का कवच:- रहस्यं श्रुणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने। श्री चन्द्रघन्टास्य कवचं सर्वसिध्दिदायकम्॥ बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोध्दा बिना होमं। स्नानं शौचादि नास्ति श्रध्दामात्रेण सिध्दिदाम॥ कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च न दातव्यं न दातव्यं न दातव्यं कदाचितम्॥ नवरात्रि व्रत के दौरान 'शारीरिक संबंध से लेकर तंबाकू' खाने तक... भूलकर भी ना करें ये गलतियां नवरात्रि में लौंग का ये टोटका ख़त्म कर देगा आपकी सभी समस्याएं कौन है मां ब्रह्मचारिणी? यहाँ जानिए व्रत कथा