जानिये कौन है संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन, शाहीन बाग मुद्दे पर होगी बात

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शाहीन बाग मामले में अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रदर्शन करो, परन्तु रास्ता बंद करना विकल्प नहीं होना चाहिए। इसके लावा नागरिकता संशोधन एक्ट(सीएए) के विरुद्ध दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले दो महीने से प्रदर्शन जारी है और रास्ता बंद होने से रोज हजारों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा  इस मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों का पक्ष जानने के लिए दो वार्ताकारो को नियुक्त किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन के नाम प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिए वार्ताकार के रूप में नियुक्त किए हैं। वहीं यह दोनों सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच मध्यस्थता का काम करेंगे।

कौन हैं संजय हेगड़े? सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने 1989 में बाम्बे विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की।वहीं इसके बाद उन्होंने 1991 में बाम्बे विश्वविद्यालय से ही एलएलएम की पढ़ाई भी पूरी की। इसके साथ ही हाल ही में हेगड़े चर्चा में आए थे। उनके चर्चा में आने की वजह उनका एक ट्वीट था, जिस कारण उनके अकाउंट को भी कुछ दिनों के लिए बंद करना पड़ा था। फिलहाल , इसके लेकर उन्होंने नाराजगी जताई थी और फिर उनके अकाउंट को दोबारा शुरू करने के लिए बहुत ट्वीट अन्य लोगों द्वारा किए जाने लगे थे।

कौन है साधना रामचंद्रन? साधना रामचंद्रन सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील हैं। साधना रामचंद्रन पहले भी न्यायिक मध्यस्थता से जुड़ी रही हैं। साधना दिल्ली हाईकोर्ट समाधान में मध्यस्थता विभाग की सचिव भी रह चुकी हैं।आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सोमवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारियों ने अपनी बात रखी है और शाहीन बाग का विरोध काफी समय से चला आ रहा है। यदि कुछ भी काम नहीं करता है, तो हम स्थिति से निपटने के लिए अधिकारियों को छोड़ देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों को विरोध करने का मौलिक अधिकार है| परन्तु  लोगों को परेशान करके नहीं, सड़कों को बाधित नहीं करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि लोकतंत्र, विचार व्यक्त करने का अधिकार देता है, परन्तु इसके लिए रेखाएं और सीमाएं हैं। वहीं सुनवाई के दौरान SC ने कहा कि लोगों को कानून के विरुद्ध विरोध करने का अधिकार है, लेकिन सवाल यह है कि आंदोलन करना कहां है। अब कोर्ट ने वार्ताकारो को नियुक्त किया है, जो स्थल को बदलने पर जोर देंगे।

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