’21 साल में शादी’ वाला कानून आने से पहले धड़ाधड़ हो रहे निकाह, परिजन कह रहे ये बात

नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने हाल ही में लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु 21 वर्ष करने का प्रस्ताव पारित किया था। हालॉंकि अभी इसको लेकर कानून नहीं बना है। किन्तु इसकी आहट से ही मुस्लिम समुदाय में अफरातफरी मच गई है। वे जल्दी से जल्दी अपनी बच्चियों का निकाह करना चाहते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इसके चलते हैदराबाद के पुराने शहर की मस्जिदों में भीड़ बढ़ गई हैं।

जल्दबाजी में किए जा रहे इन निकाहों में शामिल अधिकतर दुल्हनों की आयु 18 से 20 साल के बीच है। पहले इनमें से ज्यादतर का निकाह 2022-2023 में होने वाला था। मगर शादी की न्यूनतम उम्र से संबंधित नया कानून आने के डर से अब उनके परिजन प्रतीक्षा नहीं करना चाहते हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण निकाह के बावजूद परिवारों ने ‘विदाई’ की रस्म को फिलहाल स्थगित कर दिया है। 19 वर्षीय एक लड़की की अम्मी समरुन्निसा ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि उनकी तीन बेटियाँ हैं, जिनमें से एक विकलांग है। ऐसे में वह अपनी एक बेटी के निकाह के लिए दो वर्षों तक इंतजार कैसे कर सकती है? वहीं बाबानगर की एक महिला ने बताया कि उसके पति श्रीलंका में काम करते हैं और वह उनके वापस आने के बाद 2022 के बीच में अपनी बेटी का निकाह करना चाह रही थी, किन्तु बिल के बारे में सुनने के बाद उसे जल्दबाजी में यह निकाह करना पड़ा है। 

इसी तरह रहमत अली ने 26 दिसंबर को अपनी बेटी का निकाह किया और उसकी विदाई को 4-5 महीने के लिए टाल दिया, क्योंकि अभी उनके पास बेटी को फर्नीचर, गहने या कपड़े आदि देने के लिए पैसे नहीं हैं। वहीं चंद्रयानगुट्टा के एक दंपत्ति अपनी बेटी के निकाह के लिए KCR सरकार की ‘शादी मुबारक’ योजना पर निर्भर है। 2014 में TRS सरकार ने यह योजना आरंभ की थी। यह योजना SC, ST, EBC या अल्पसंख्यकों को 1 लाख रुपए की आर्थिक मदद देती है। योजना के लाभ के लिए लड़कियों की आयु कम से कम 18 साल होनी चाहिए।

इसी क्षेत्र के एक स्थानीय नेता फ़िरोज़ खान ने जानकारी दी कि इसी योजना का फायदा उठाने के लिए परिवार निकाह करवा रहे हैं, ताकि वो जल्द से जल्द इसके लिए आवेदन कर सकें। वहीं, विवाह संबंधी बिल को लेकर मुस्लिम धर्मगुरु और अमरत-ए-मिल्लत-ए-इस्लामिया तेलंगाना और आंध्र के अमीर (प्रमुख) मौलाना जफर पाशा ने कहा है कि यह मुस्लिम पर्सनल लॉ में ‘घुसपैठ’ के अतिरिक्त और कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि इस्लाम में एक मुस्लिम लड़की यौवन प्राप्त करने के बाद निकाह कर सकती है।

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