पदोन्नति में आरक्षण को लेकर उलझा पेंच, 1.3 लाख प्रमोशन रुकने पर SC पहुंची मोदी सरकार

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में अर्जी दाखिल कर पदोन्नति में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति को आरक्षण देने के मसले पर स्पष्टीकरण मांगा है. केंद्र का कहना है कि जनवरी, 2020 तक लगभग 1.3 लाख प्रमोशन लंबित पड़े हैं. पदोन्नति के काम रुके होने से सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों में काफी गुस्सा है.

सरकार ने आग्रह किया है कि उसे अस्थायी तौर पर प्रमोशन करने की अनुमति दी जाए क्योंकि बड़ी संख्या में पद खाली पड़े हैं. सरकार ने कहा है कि 78 विभागों में से 23 विभागों में पदोन्नति का काम रुका हुआ है. सरकार का कहना है कि गत वर्ष 15 अप्रैल को यथास्थिति बनाए रखने के आदेश की वजह से आरक्षित और सामान्य श्रेणी के तमाम पदोन्नति पर पूरी तरह से रोक लगी हुई है. कुछ महीने पहले सरकारी नौकरी में प्रमोशन में आरक्षण पर फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी. 

याचिका में शीर्ष अदालत से उस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की गई है, जिसमें कहा गया कि सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन का दावा करना मौलिक अधिकार नहीं है. लिहाजा कोई भी कोर्ट राज्य सरकारों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) को आरक्षण देने का आदेश नहीं दे सकती है.

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