मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति पर RSS की छाप ! राष्ट्र निर्माण पर होगा फोकस

नई दिल्ली: मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को भारतीय इतिहास का टर्निंग प्वाइंट करार देते हुए गर्मजोशी से स्वागत किया है. वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भाजपा के वैचारिक गुरुओं के लिए यह एक मील का पत्थर है, जिसे प्राप्त करने में उन्हें 60 वर्षों का लंबा समय लग गया. RSS काडर के लोग बेहद उत्साहित हैं क्योंकि पॉलिसी ड्राफ्टिंग में उनकी आवाज को अहम जगह दी गई है. 

मोदी सरकार के सातवें वर्ष में संघ परिवार को भारतीय शिक्षा नीति को कांग्रेस काल से बदलकर अपनी नीतियों के आधार पर बनाने का अवसर मिला है, जहां पर शिक्षा का अर्थ चरित्र और राष्ट्र निर्माण है. भाजपा के सहयोगी नई शिक्षा नीति का जमकर स्वागत कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि फाइनल पॉलिसी में उनके सुझाव पर भी गौर किया जाएगा. हालांकि बताया जा रहा है कि सरकार बीच का रास्ता निकालने के बारे में विचार कर रही है. या तो वो संघ की कुछ नीतियों को छोड़ देगी या फिर वैकल्पिक व्यवस्था में उनके लिए स्थान बनाए जाएंगे.

राजीव गांधी की सरकार के दौरान पहले की यूनियन ऑफ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक्स (USSR) से प्रेरणा लेकर मंत्रालय का नाम मानव संसाधन मंत्रालय रखा गया था. किन्तु अब इसके नाम को बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. इस नाम पर भी RSS की छाप दिखती है. वर्ष 2018 में भारतीय शिक्षा मंडल की कॉन्फ्रेंस के दौरान पहली दफा मंत्रालय के नाम बदलने की बात प्रमुखता से रखी गई थी. उस दौरान स्टेज पर तब के मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और पीएम मोदी भी उपस्थित थे.

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