मोदी सरकार के 4 साल, अन्नदाता अब भी बेहाल

नई दिल्ली:  मोदी सरकार ने पिछले चुनाव के समय किसानों से आय दोगुनी करने के जो वादे किए थे, उनका सच अब उजागर हो चुका है. क्योंकि देश भर में अब भी किसान आत्महत्या कर रहा है, उचित मूल्य न मिलने के कारण, मजबूर होकर कड़ी मेहनत से उगाई गई  फसलों को सड़कों पर डाल रहा है, या जानवरों को खिला रहा है. आज मोदी सरकार के कार्यकाल को 4 साल पुरे हो गए हैं, लेकिन किसानों की स्थिति में कोई परिवर्तन देखने को नहीं मिला.

चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, इसके बाद पेश हुए सभी केंद्रीय बजटों में इस वादे को दोहराया भी गया. लेकिन 2022 के लक्ष्य से बंधे इस वादे को पूरा करने की लिए चार साल तक सरकार ने अपना रोडमैप नहीं बनाया. लेकिन अगर पिछले चार सालों की बात की जाए तो कृषि क्षेत्र की स्थिति को देखते हुए लगता है कि दिए गए समय में इस लक्ष्य को पाना केंद्र सरकार के लिए मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है.

हालांकि इस कार्य के लिए केंद्र सरकार ने एक समिति का गठन किया है, जिसका नेतृत्व अशोक दलवई कर रहे हैं.  इस समिति ने बीते दो साल के दौरान देश के कृषि क्षेत्र का सघन अध्ययन करते हुए अपनी रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट पर फिलहाल मंत्रालय ने जनता का सुझाव मांगा है जिसके बाद उम्मीद है कि वह अपनी रिपोर्ट पूरी करते हुए केंद्र सरकार को किसानों की आमदनी दोगुनी करने के फॉर्मूले पर सिफारिश पेश कर दे.

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