महिला पत्रकार ने एमजे अकबर के आरोपों को किया खारिज, बोलीं आरोप का उद्देश्य ध्यान भटकाना

नई दिल्लीः मी टू अभियान के तहत एक महिला पत्रकार द्वारा यौन शोषण के आरोप लगने के बाद चर्चा में आए एमजे अकबर को सरकार में अपनी पोजिशन गंवानी पड़ी। वह मोदी सरकार के पहले कार्यक्रम में विदेश राज्य मंत्री के पद पर थे। एमजे अकबर पत्रकारिता के जाने माने चेहरे हैं। अक्तूबर 2018 में चले इस अभियान में महिला पत्रकार ने तीस साल पहले उन पर यौन शोषण करने का आरोप लगाया था। इस मुद्दे को लेकर सरकार की काफी किरकिरी हुई थी और उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा था।

अकबर ने महिला पत्रकार के आरोपों का खंडन करते हुए महिला पत्रकार पर मानहानि का मुकदमा दायर किया था। इस मामले में शुक्रवार को पूर्व महिला पत्रकार ने अदालत में अपना बयान दर्ज करवाया। आरोपी ने अकबर के उस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया कि उसकी ट्वीटर पोस्ट से अकबर की छवि खराब हुई। यह मुकदमा केवल अकबर पर उसके आरोपों से लोगों का ध्यान भटाने के लिए दायर किया गया है। मामले की अगली सुनवाई अब सात सितंबर को होगी।

राउज एवेन्यू अदालत के एसीएमएम के समक्ष आरोपी पूर्व महिला पत्रकार ने कहा कि वह अपनी पहली नौकरी का साक्षात्कार देने गई थी और उस समय उसकी उम्र केवल 23 वर्ष थी। एमजे अकबर अखबार के संपादक थे और नई होने के कारण वह नहीं तय कर पाई कि वह इंकार कर दे या नहीं। कोर्ट के समक्ष आरोपी ने यह भी कि उसने सोचा था कि अकबर उसे होटल की कॉपी शॉप या लॉबी में मिलेंगे। अकबर ने उसे अपने कमरे में बुलाया जहां का माहौल बिल्कुल अलग था।

वहां पहुंच वह बेहद असुरक्षित व असहज महसूस कर रही थी। अकबर ने उसे शराब पीने की पेशकश की और अपने पास बैठने के लिए कहा। उस समय अकबर ने शराब पी थी और तेज आवाज में गाना गा रहे थे। इस इंटरव्यू का पूरा वाकिया उसने अपनी मित्र नीलोफर को कहा था। मी टू अभियान के तहत समाज के कई प्रतिष्ठित लोगों पर यौन शोषण पर आरोप लगे थे।

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