देश को अपनी कविताओं से मोहने वाले राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी की आज 57वीं पुण्यतिथि है। वर्ष 1964 में आज के ही दिन उन्होंने आखिरी सांस ली तथा भारत ने एक महान कवि को खो दिया। किन्तु उनकी प्रत्येक कविता की प्रत्येक पंक्ति में वे आज भी जीवित हैं। 1886 में यूपी के झांसी में जन्मे मैथिलीशरण गुप्त खड़ी बोली के प्रमुख स्तंभ माने जाते थे। लगभग 60 वर्षों में उन्होंने 40 से अधिक मौलिक काव्य ग्रंथों की रचना की है। वही मैथिलीशरण गुप्त की पुण्यतिथि पर आज सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर उन्हें याद किया। मुख्यमंत्री योगी ने पोस्ट में लिखा, "हिंदी साहित्य में राष्ट्रीय काव्यधारा के अप्रतिम हस्ताक्षर, प्रखर चिंतक, 'पद्मभूषण' से सम्मानित, 'राष्ट्रकवि' मैथिलीशरण गुप्त जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि। आपका सृजन कार्य युगों-युगों तक हम सभी को प्रेरित करता रहेगा।" Koo App हिंदी साहित्य में राष्ट्रीय काव्यधारा के अप्रतिम हस्ताक्षर, प्रखर चिंतक, ’पद्मभूषण’ से सम्मानित, ’राष्ट्रकवि’ मैथिलीशरण गुप्त जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि। आपका सृजन कार्य युगों-युगों तक हम सभी को प्रेरित करता रहेगा। View attached media content - Yogi Adityanath (@myogiadityanath) 12 Dec 2021 गौरतलब है कि अपने वक़्त की प्रतिष्ठित मासिक पत्रिका 'सरस्वती' में अपनी कविताएं छपवाने की ललक ने उन्हें भारत के सबसे महान कवियों में से एक बना दिया। सामान्य लोगों की भाषा में आम लोगों के लिए ही कविताएं लिखना उन्हें बेहद पसंद था। इसलिए उन्होंने अपनी प्रथम बृजभाषा की कविता सरस्वती के संपादक आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के समीप भेजी। उपनाम में लिखा 'रसिकेंद्र'। मगर, द्विवेदी जी ने उन्हें एक चिट्ठी के साथ कविता वापस भेज दी। उस चिट्ठी में लिखा था कि सरस्वती में बृजभाषा में कविताएं नहीं छापी जातीं। आम लोगों की भाषा खड़ी बोली में लिखकर कविता भेजिए। इसी के साथ आचार्य ने लिखा, 'और हां, रसिकेंद्र बनने का जमाना गया!' आचार्य जी द्वारा लिखे ये शब्द पढ़कर मैथिलीशरण गुप्त ने बृजभाषा से तौबा कर ली। इसी के साथ, 'रसिकेंद्र' को अपने नाम से हटा दिया। फिर आरम्भ हो गए खड़ी बोली में काम करने। वर्ष 1905 में उनकी मेहनत रंग लाई तथा 'हेमंत' कविता 'सरस्वती' में प्रकाशित हो गई। भोपाल से गुजरने वाली 12 ट्रेनें कैंसिल, यहाँ देखे पूरी लिस्ट इस गणतंत्र दिवस पर होगा खास आयोजन, 5 देशों के बनेंगे राष्ट्रपति भारतीय मेहमान! डेढ़ वर्ष की मासूम ने जीते कोरोना वायरस के नए वेरिएंट से जंग