40 से अधिक प्रजाति के कबूतरों की कीमत जानकर उड़ जाएंगे आपके होश

पटना: बिहार के सीतामढ़ी में कबूतर की इतनी प्रजातियां देखने को मिलती है कि जिसकी खासियत जानकर हर कोई हैरान हो जाए. कबूतर की ये दुर्लभ प्रजाति नवाबों के महलों की शान को दोगुना कर देते है. लखनऊ और हैदराबाद के नवाब यहां से कबूतर को खासतौर से मंगवाते हैं. सीतामढ़ी के पसौनी प्रखंड के धीरज कुमार रंग-बिरंगे विदेशी कबूतर पालकर उसे बेचकर साल भर  में लाखों रुपये की आमदनी करता है. धीरज के पास मसकली, लक्का, गल्ला फुला, लोटन, सूर्यमुखी, जागविन और  इटालियन सहित वर्तमान में तकरीबन 40 प्रजाति के कबूतर उपलब्ध है. इनमें से एक कबूतर का मूल्य  कम से कम 35 सौ रुपये और अधिक से अधिक 9 हजार रुपये प्रति कबूतर है. कबूतर का यह पेशा धीरज की चार पीढ़ी से चला आ रहा है.

इन प्रजाति के कबूतरों की मांग लखनऊ, हैदराबाद सहित अन्य शहरों के साथ-साथ सबसे अधिक मांग विदेशी देशों में. यह रंग बिरंगे विदेशी कबूतर रईसों के शहर लखनऊ और हैदराबाद में नवाबों  के मध्य शान शौकत को और भी बढ़ा देता है. लक्का प्रजाति कबूतर के 52 पंख होते हैं और ये लकवा को ठीक करने में भी बहुत काम आता है. लक्का कबूतर के पंख दिखने में बहुत सुंदर होते हैं साथ ही इसके पंखों की हवा लगने से लकवा ग्रसित व्यक्ति के उपचार में सहायता मिलती है. वहीं लोटन कबूतर डांसिंग कबूतर होता है. एक बार उसे नचा देने से जमीन पर वह खुद तकरीबन ढाई सौ बार तक नाचता रहता है.

गल्ला फुला प्रजाति के कबूतर की विशेषता है की वह एयर ब्लडर होता है जो अपने शरीर में हवा की उत्त्पति कर अपने शरीर को फुटबॉल एवं अन्य किसी ढांचे के अनुरूप बना लेता है. सूर्यमुखी, जागबिन और इटालियन कबूतर शो प्लांट कबूतर है, जिसमें  सूर्यमुखी कबूतर के माथे पर उजाला रंग के सूर्य की तरह आकार होता है. वही इटालियन जो इटली देश की खास प्रजाति की कबूतर है. यह कबूतर पूर्व में राजा महाराजाओं का चिट्ठी पहुंचाने का कार्य करता है.

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