केरल: सीपीएम का दोहरा मापदंड, सबरीमाला पर समर्थन और दलितों पर प्रतिबन्ध

कोच्चि : सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर केरल की सीपीएम सरकार ने भले ही समानता दिखाने की कोशिश की हो, किन्तु यह स्थिति सभी स्थानों पर लागू नहीं होती है। केरल में ही एक मशहूर मंदिर की देखरेख सीपीएम पार्टी की तरफ से की जाती है, लेकिन इसमें दलितों की एंट्री पर प्रतिबन्ध है। सीपीएम की विचारधारा से सम्बंधित मंदिर प्रबंधकों ने दलितों को वार्षिक उत्सव से दूर रखा है।

टीएमसी विधायक की हत्या मामले में दो गिरफ्तार, भाजपा नेता मुकुल रॉय के खिलाफ भी एफआईआर

इस समय केरल की अझिकल पंपाडी उत्सव चल रहा है और आलिनकीझिल मंदिर में दलितों के प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। इस उत्सव में परंपरा के तौर पर देवी के तलवार को घर लेकर जाया  जाता है। माना जाता है कि इससे सभी तामसिक शक्तियों का संहार किया जाता है। हालांकि, क्षेत्र में रहने वाले 400 दलित परिवारों को उत्सव में शामिल होने की इच्छा होने के बाद भी उत्सव का हिस्सा नहीं बनने दिया जाता है। रविवार को इस उत्सव का समापन होने जा रहा है और गत छह दिवसों से देवी के अस्त्र-शस्त्र को एक घर से दूसरे घर ले जाने की प्रक्रिया चल रही है।

गुंटूर में बरसे पीएम, कहा जिस कांग्रेस के खिलाफ शुरू हुई थी तेदेपा, आज उन्ही के सामने हो गई नतमस्तक

केरल स्टेट पट्टिका समाजम (केपीजेएस) ने बताया है कि, 'प्रदेश में भेदभाव का यही एक अकेला मामला नहीं है। ऐसे और भी कई स्थान हैं। विडंबना तो यह है कि राज्य में अभी सीपीएम की सरकार है। सीपीएम सरकार सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के अधिकार का पक्ष ले रही है। इस मंदिर के संचालन का जिम्मा भी सीपीएम की विचारधारा वाला  ही एक वर्ग कर रहा है, लेकिन दलितों को इससे दूर रखा जा रहा है।'

खबरें और भी:-

पूर्व कांग्रेस नेता ने खोली राहुल गाँधी की पोल, कहा पीएम मनमोहन के काम में भी देते थे दखल

मनी लॉन्ड्रिंग मामला: ईडी की पूछताछ पर वाड्रा ने तोड़ी चुप्पी, फेसबुक के माध्यम से रखी अपनी बात

बंगाल में लेफ्ट के साथ जाती दिख रही कांग्रेस, क्या मिलकर 'दीदी' के खिलाफ खोलेंगे मोर्चा ?

Related News