तंगहाल जिंदगी से सीएम की कुर्सी तक..जयराम ठाकुर

हिमाचल के मुख्यमंत्री बने जयराम ठाकुर ने बहुत करीब से गरीबी देखी है. वे प्रदेश के 13वें मुख्यमंत्री बनेंगे. जयराम ठाकुर का जन्म 6 जनवरी 1965 को मंडी जिले की थुनाग तहसील के तांदी गांव में राजपूत परिवार में हुआ है. जेठूराम और ब्रिकमू देवी के घर में जन्मे जयराम ठाकुर का बचपन बेहद गरीबी में कटा. पिता खेतीबाड़ी और मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करते थे. जयराम तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं. इसलिए उनकी पढ़ाई-लिखाई में परिवार वालों ने कोई कसर नहीं छोड़ी. कुराणी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की. इसके बाद बगस्याड़ से उच्च शिक्षा लेकर वे मंडी आ गए. मंडी कॉलेज से बीए करने के साथ एबीवीपी और संघ से जुड़कर कार्य करते रहे.

1986 में एबीवीपी के जॉइंट सेक्रेटरी रहे. 1989-93 तक भाजयुमो के स्टेट सेक्रेटरी रहे. जम्मू-कश्मीर जाकर एबीवीपी का प्रचार किया और 1992 में घर लौटे. वर्ष 1993 में जयराम को भाजपा ने सिराज विधानसभा क्षेत्र से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा. जयराम यह चुनाव हार गए थे. घरवालों ने जयराम का राजनीति में जाने का विरोध किया था. इसकी वजह परिवार की आर्थिक तंगी थी. जयराम ठाकुर अपने दम पर राजनीति में डटे रहने का निर्णय लिया और विस चुनाव लड़ा. उस वक्त वे महज 26 वर्ष के थे. यह चुनाव जयराम ठाकुर हार गए.

1998 में भाजपा ने फिर जयराम ठाकुर को चुनावी रण में उतारा. इस बार जयराम ने जीत हासिल की. इसके बाद कभी हार का मुंह नहीं देखा. वर्ष 1995 में उन्होंने जयपुर की डॉ. साधना सिंह से शादी की. जयराम ठाकुर की दो बेटियां हैं. वे एक बार सिराज मंडल भाजपा के अध्यक्ष, एक बार प्रदेशाध्यक्ष, राज्य खाद्य आपूर्ति बोर्ड के उपाध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं. 2006-09 तक जयराम के प्रदेशाध्यक्ष रहते भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई थी.

बहरहाल आज जयराम ठाकुर की 79 वर्षीय मां बिक्रमू देवी बेटे की इस उपलब्धि पर फूली नहीं समा रही हैं. पूछने पर प्रसन्न आवाज में कहती हैं - मेरा बेटा सीएम बन गया. काश उसके पिता बेटे का इतना बड़ा राजनीतिक कद देखने के लिए जिंदा होते. सिराज विस क्षेत्र के लोग सीएम की ताजपोशी की खबर सुनते ही चहक उठे हैं.

जयराम ठाकुर के सिर होगा हिमाचल का ताज

पश्चिम बंगाल में भाजपा लाई जीत का फाॅर्मूला

किसके सिर पर होगा हिमाचल का ताज़

 

 

 

Related News