बदलते समय के साथ दुनिया में लगातार कम हो रही है मातृभाषाओं की संख्या

कोई भी भाषा किसी क्षेत्र की अपनी एक अलग पहचान होती है। लेकिन अब यह पहचान धीरे-धीरे खोती चली जा रही हैं। यही कारण है कि एक समय दुनिया में कई प्रकार की अलग-अलग भाषाएं बोली जाती थी। परन्तु अब तो सिर्फ भाषाओं का नाम ही रह गया है. हर रोज भाषाएं लुप्त होती जा रही हैं। यही नहीं भाषााओं के साथ उनकी संस्कृति, परम्परा का ज्ञान भी लुप्त होता जा रहा है। 

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इस कारण मनाया जाता है मातृभाषा दिवस

यदि इस विषय में हम जानकारों कि माने तो जिस तरह दस साल में जनगणना होती है। उसी प्रकार भाषाओं की भी गणना होनी चाहिए। शिक्षकों और विशेषज्ञो ने बताया कि हम जाने अनजाने होड़ में अपनी दिशा और मातृभाषा से दूर होते जा रहे हैं। आज की पीढ़ी में सबसे ज्यादा चलन अंग्रेजी भाषा का है। हम आपको बता दें सन् 1999 में युनेस्को ने प्रतिवर्ष 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी। मातृभाषा बहुत पुराना शब्द नहीं है, मगर इसकी व्याख्या करते हुए लोग अक्सर इसे बहुत प्राचीन मान लेते हैं। 

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हम आपको बता दें की आज की हाईलेवल की पढ़ाई, मोबाइल, सोशल मीडिय़ा ने मातृभाषा को लोगों और बच्चों से अलग कर दिया है। मातृभाषा का उद्विपन मातृभाव से होता है। आज के समय में समाचार पत्रों एवं पाठ्यक्रमों में अंग्रेजी माध्यम से तकनीकि एवं ज्ञान की आवश्यकता बढ़ गई है। देश मे प्रतिदिन भाषाएं लुप्त होती जा रही हैं। 

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