भारत-इंडोनेशिया के बीच समझौता, चीन के लिए चिंता

जकार्ता: पीएम नरेंद्र मोदी की विदेश यात्रा का चीन पर कोई फर्क पड़ेगा इस बारे में किसी को ख्याल भी नहीं आया होगा, लेकिन पीएम मोदी की इंडोनेशिया यात्रा के दौरान, जिस तरह से इंडोनेशिया ने भारत को सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सबांग बंदरगाह के आर्थिक और सैन्य इस्तेमाल की मंजूरी दी है, उससे चीन के हुक्‍मरानों में खलबली मच गई है.

चीन की इस चिंता का विषय है, सबांग बंदरगाह, जो अपनी अपनी भौगोलिक खासियत के कारण सामरिक रूप से अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है, यदि सामरिक लिहाज से देखा जाए तो सबांग द्वीप के इस बंदरगाह की गहराई करीब 40 मीटर है, इतनी गहराई में पनडुब्बियों समेत हर तरह के सैन्‍य जहाजों को यहां आसानी से उतारा जा सकता है, इसके लिए यह बंदरगाह बहुत उपयुक्त माना जाता है. लेकिन चीनी विस्‍तारवादी नीति के कारण आरंभ से ही चीन की नजर इस बंदरगाह पर टिकी है.  

इस बंदरगाह की सामरिक उपयोगिता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि द्वितीय विश्‍व युद्ध के दौरान जापान ने इस द्वीप का इस्‍तेमाल अपने सैन्‍य ठ‍िकाने के रूप में किया था, जापान ने अपने बेड़े के जहाज यहां खड़े किए थे. यही कारण है कि चीन ने सबांग इलाके के इस्तेमाल और विकास के प्रति दिलचस्पी दिखाई थी. अब इस बंदरगाह का भारत के हाथों में आना चीन को तो अखरना ही था. 

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