नहीं रहीं देश की पहली महिला हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ पद्मावती, कोरोना के चलते हुआ निधन

नई दिल्ली: देश की पहली महिला कार्डियोलॉजिस्ट (हृदयरोग विशेषज्ञ) डॉक्टर एसआई पद्मावती का 103 वर्ष की आयु में कोरोना वायरस की वजह से शनिवार को निधन हो गया। उन्हें नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट (NHI) में 11 दिन पहले एडमिट कराया गया था। अस्पताल के CEO डॉक्टर ओपी यादव ने कहा कि डॉ. पद्मावती के दोनों फेफड़ों में गंभीर संक्रमण हो गया था जिसके चलते उनकी मौत हो गई।

पश्चिमी दिल्ली के पंजाबी बाग शमशान घाट में डॉ. पद्मावती का अंतिम संस्कार किया गया है। महान हृदय रोग विशेषज्ञ ने अपने अंतिम दिनों तक एक सक्रिय और स्वस्थ जीवन जीया। 2015 के आखिर तक वे दिन में 12 घंटे, हफ्ते में पांच दिन NHI में काम कर रही थीं। 1981 में उन्होंने NHI की स्थापना की थी। उनके योगदान की वजह से ही उन्हें ‘गॉडमदर ऑफ कार्डियोलॉजी’ की उपाधि दी गई थी। डॉ पद्मावती ने 1954 में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में उत्तर भारत की पहली कार्डिएक कैथीटेराइजेशन लैब स्थापित की थी। 1967 में उन्होंने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के निदेशक-प्राचार्य के रूप में पदभार संभाला और इरविन और जी बी पंत अस्पतालों में भी सेवाएं दी।

यहीं पर उन्होंने कार्डियोलॉजी में पहला DM कोर्स, पहली कोरोनरी केयर यूनिट और देश में पहली कोरोनरी केयर वैन की शुरुआत की। इसके साथ ही उन्होंने 1962 में ऑल इंडिया हार्ट फाउंडेशन और 1981 में नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट की स्थापना की। भारत सरकार ने डॉ पद्मावती को 1967 में पद्म भूषण और 1992 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।

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