क्यों मनाया जाता है कारगिल विजय दिवस, कैसे हुई युद्ध की शुरुआत ?

कारगिल युद्ध या कारगिल विजय दिवस भारतीय इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। कारगिल का युद्ध ऐसा युद्ध है जिसे भारत तो याद कर सुनहरी यादों में खो जाता है, वहीं पाकिस्तान जब इसका जिक्र करता है तो उसे बड़े गहरे घाव मिलते हैं। अपनी साजिश और नापाक हरकत का भारतीय सैनिकों ने उसे मुंहतोड़ जवाब दिया था। जानिए यह युद्ध कहां लड़ा गया, इसकी शुरुआत कैसे हुई और कारगिल विजय दिवस क्यों मनाया जाता है ?

कैसे हुई युद्ध की शुरुआत ? 

कारगिल युद्ध की शुरुआत पाकिस्तान की नापाक हरकत के कारण हुई। एक चरवाहे ने 3 मई 1999 को भारतीय सेना को इस बात की जानकारी दी कि पाक ने कारगिल में घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया है और फिर भारत ने उसे खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय की शुरुआत की। धीरे-धीरे यह स्थिति युद्ध में तब्दील हो गई।  

कहां लड़ा गया था युद्ध ?

पाक ने 18 हजार फ़ीट की ऊंची चोटी पर कारगिल के क्षेत्र में कब्जा कर लिया था। वहीं भारतीय सेना नीचे खाई से इसका जवाब दे रही थी। जोख़िम लेते हुए भारतीय सेना ने दुश्मनों को कारगिल में इस दुविधा में भी दांतों तले उंगली चबाने पर मजबूर कर दिया था। 

क्यों मनाया जाता है कारगिल विजय दिवस ?

कारगिल विजय दिवस कारगिल पर मिली महाविजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। हमारे सैनिकों के सम्मान, जज्बे, जूनून, साहस, निडरता का भी यह प्रतीक है। 60 दिनों से अधिक समय तक चले इस युद्ध में भारतीय शेरों ने दुश्मनों से जमकर लोहा लिया और उनकी साज़िश को नाकाम करते हुए इस युद्ध में महाविजय हासिल की। आधिकारिक रूप से भारत को 26 जुलाई 1999 को इस युद्ध में विजय हासिल हुई थी। 26 जुलाई को हर साल कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

भारत के कितने जवान हुए शहीद ?

इस महायुद्ध में भारत ने अपने 527 कीमती हीरे खो दिए थे, जबकि 1363 जवान इस युद्ध में घायल हो गए थे। वहीं एक आंकड़ें के मुताबिक़, भारत ने पाकिस्तान के 3000 से अधिक सैनिक मार गिराए थे। 

 

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