पुण्यतिथि विशेष : प्रेम, एकता, भाईचारे और भक्ति का सन्देश देता है गुरु तेग बहादुर साहब का जीवन

नई दिल्ली. कल का दिन सिख समुदाय के लिए बहुत खास दिन है क्योंकि इस दिन (24 नवंबर) सिख समुदाय के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर जी की पुण्यतिथि है.  उनकी हिम्मत और नेक सोच की वजह से केवल सिख समुदाय ही नहीं बल्कि पूरा हिन्दुस्तान उनकी इज्जत करता है. गुरु तेग बहादुर साहब का जीवन हमेशा से लोगों को प्रोत्साहित करता आया है और हमें  प्रेम, एकता, भाईचारे और भक्ति के सन्देश भी देता है. 

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आपको बता दें कि गुरु तेग बहादुर जी का जन्म पंजाब के अमृतसर में  1 अप्रैल, 1621 में एक सोधी खत्री परिवार में हुआ था. उनके पिता गुरु हरगोबिंद सिख समुदाय के 6 वे गुरे थे.  गुरु तेग बहादुर जी का असली नाम  त्यागमल था लेकिन बाद में उनकी वीरता को देखकर उनका नाम गुरु तेग बहादुर रख दिया गया और वे इसी नाम से प्रसिद्ध हो गए. गुरु तेग बहादुर जी ने हमेशा अपने जीवन में  प्रेम, एकता और भाईचारे को महत्त्व दिया है और वो लोगों को भी यही सिख देते थे कि वे भी इन गुणों को अपना ले. हालाँकि उस वक्त के कथित क्रूर शासक औरग़ज़ेब और मुगलों की सहसं प्रक्रिया का भी उन्होंने खुल के विरोध किया था.

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उन्होंने मुगलों द्वारा सताए जा रहे कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं की भी बहुत मदद की थी इसके लिए सन 1675 में एक बार  मुगल शासक औरंगजेब ने उन्हें पकड़वा भी लिया था और उन्हें चेतावनी दी थी कि वे इस्लाम को काबुल कर ले वार्ना उनका सर कलम कर दिया जायेगा. लेकिन गुरु तेग बहादुर जी ने अपने धर्म की रक्षा करना ज्यादा जरूरी समझा और मौत को गले लगा लिया. 

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