रामनवमी पर हिंसा करने के लिए 'मौलवियों' ने बाहर से बुलाए थे लोग, मुस्लिमों ने पहले ही कर ली थी हमले की तैयारी

अहमदबाद: गुजरात के हिम्मतनगर में रामनवमी के दिन भड़की हिंसा के मामले में जारी जाँच के बीच खंभात हिंसा की जाँच में हैरान करने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि इस हिंसा में कम-से-कम तीन मौलवी शामिल हैं और इन्होंने राज्य के विभिन्न हिस्सों के लोगों को खंभात में शांति और सद्भाव को बिगाड़ने के लिए बुलाया था। गुजराती समाचार चैनल VTV की रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा पूर्व नियोजित थी और इसमें शामिल लोगों को इन मौलवियों ने शहर के बाहर से बुलवाया था।

 

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस हिंसा की साजिश पहले से ही शातिराना तरीके से रची गई थी और शोभा यात्रा से एक दिन पहले इसमें शामिल लोगों को इलाके की शांति और सद्भाव को बिगाड़ने के लिए बाहर से बुलाया गया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, शोभा यात्रा के दौरान पहले पथराव किया गया और फिर दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। खंभात हिंसा में अरेस्ट किए गए तीनों मौलवियों से पूछताछ में पता चला है कि शोभा यात्रा में हिंसा करने के लिए इन लोगों ने पहले की योजना तैयार कर ली थी। हिंसा को अंजाम देने के लिए मौलवियों ने भरूच और अहमदाबाद से लोगों को बुलाया था और उनके यहाँ रहने-खाने का प्रबंध भी किया था। ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि इसके लिए विदेशों से फंडिंग भी की गई थी।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी रजाक अयूब, हुसैन हशमाशा दीवान भीड़ को पत्थरबाज़ी करने के लिए उकसाने में शामिल थे। इस हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई है, जबकि कई अन्य लोग जख्मी हो गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस दिन शोभा यात्रा की इजाजत मिली थी, उसी दिन पथराव और हिंसा की योजना बना ली गई थी। शोभा यात्रा रविवार को थी और मौलवियों ने बाहरी लोगों को शनिवार को ही खंभात बुला लिया था। जिन लोगों को पथराव और हिंसा के लिए बुलाया गया था, उन्हें कहा गया था कि उन्हें कुछ नहीं होगा और उन्हें कानूनी मदद भी दी जाएगी।

आरोपितों ने शोभा यात्रा से पहले भारी मात्रा ईंट-पत्थर और लाठी-डंडे जैसे अन्य हथियार जमा कर लिए थे। अगले दिन रविवार को जब शोभा यात्रा निकली और मस्जिद के पास से गुजरने लगी, इसी दौरान यात्रा में शामिल लोगों पर पत्थर बरसाना शुरू कर दिया गया। अचानक हुए इस हमले में कई लोग जख्मी हो गए थे। कई रिपोर्ट में यह बता भी सामने आई है कि कथित पुलिस अत्याचारों से लड़ने के नाम पर लोगों से चंदा वसूल कर धन जुटाया गया। वहीं, धन के विभिन्न स्रोतों की भी जाँच की जा रही है।

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