एसोचैम प्रेसिडेंट निरंजन हीरानंदानी : GST की दरों में यदि सरकार कम से कम 25% की दे राहत

देश की अर्थव्यवस्था नाजुक दौर से गुजर रही है। आर्थिक विकास की तिमाही दर साढ़े चार परसेंट तक नीचे आ चुकी है। उद्योग बैंकों से कर्ज नहीं मिलने की शिकायत कर रहे हैं, तो सरकार बीते तीन महीने से अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के प्रयास कर रही है। ऐसे वक्त में उद्योग सरकार की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है। उद्योग चैंबर एसोचैम के नवनियुक्त प्रेसिडेंट निरंजन हीरानंदानी ने पद संभालने के बाद अपने पहले साक्षात्कार में एक मिडिया रिपोर्टर को बताया है की सरकार बार बार उद्योगों की बात सुन रही है और अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए कदम उठा रही है। मेरी राय में उद्योगों के बैंक कर्जों की रिस्ट्रक्चरिंग आज की सबसे बड़ी जरूरत है। जिस प्रकार साल 2008 के वित्तीय संकट के दौरान उद्योगों को कर्ज के भुगतान में राहत और उन्हें अदा करने के लिए ज्यादा मोहलत दी गई थी, उसी प्रकार वर्तमान में भी उद्योगों को वक्त मिलना चाहिए। अधिकांश उद्योग इस समय संकट में हैं। चाहे वह ऑटोमोबाइल हो, रियल एस्टेट हो या एसएमई सेक्टर। मांग नहीं होने से कंपनियों की उत्पादन क्षमता सीमित हो गई हैं। कंपनियों ने विस्तार के लिए जो कर्ज लिए थे उनका भुगतान मुश्किल होता जा रहा है। इसलिए जरूरी है कि कंपनियों के ये लोन एनपीए में बदलें, उससे पहले इनकी रिस्ट्रक्चरिंग का काम हो जाना चाहिए।

आपकी बात एकदम सही है। सरकार लगातार कदम उठा रही है, लेकिन जो स्थिति अभी है, उसमें राहत के और भी कई उपायों की आवश्यकता है। सरकार से उद्योगों को अब तक जितना भी मिला है वह काफी नहीं है। मेरी समझ में कुछ समय के लिए जीएसटी की दर में कम से कम 25 फीसद की राहत देने की आवश्यकता है। यह राहत कुछ उत्पादों या सेवाओं पर नहीं, बल्कि जीएसटी के समूचे समूह पर लागू किया जाना चाहिए।इससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार को तेज करने के लिए ईंधन मिलेगा। अर्थव्यवस्था में मांग उत्पन्न होगी और उसका पहिया घूमने की गति बढ़ेगी। मांग बढ़ेगी तो सप्लाई साइड पर भी दबाव बनेगा। मैं आपको विश्वास के साथ कह सकता हूं कि हर कंपनी निवेश करने को तैयार है। इसलिए डिमांड बढ़ाने के लिए जीएसटी में छूट देनी चाहिए। मेरा मानना है कि सरकार को अभी अपने राजकोषीय प्रबंधन पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए। अगर सरकार का फिस्कल डेफिसिट बढ़ता है तो उसे बढ़ने देना चाहिए। लेकिन आज के वक्त की जरूरत सिस्टम में खर्च की रफ्तार को तेज करना है। फिस्कल डेफिसिट एक नंबर है। हमें अपने देश के लोगों को समृद्ध बनाने पर फिलहाल ध्यान देना चाहिए। मैं तो कहूंगा कि सरकार को इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के अपने लक्ष्यों को बढ़ा देना चाहिए। मसलन, देश में सड़क बनाने के लक्ष्य को दोगुना कर देना चाहिए। नई सरकारी परियोजनाएं शुरू करनी चाहिए। इससे न केवल रोजगार बढ़ेगा, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी मांग बढ़ेगी जिसका सकारात्मक असर सप्लाई साइड पर होगा।

 ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां सरकार अगर अपना फोकस बढ़ाए तो उसके नतीजे अर्थव्यवस्था में दिखेंगे। जैसा कि मैंने आपको बताया, इसमें पहला इन्फ्रास्ट्रक्चर है। इसमें अगर आवास और शहरी ढांचे के विकास को भी जोड़ लिया जाए तो अर्थव्यवस्था में तेजी पैदा की जा सकती है। इसके अलावा सरकार को टेक्सटाइल सेक्टर पर फोकस करना चाहिए। आज हमारे कई पड़ोसी देश केवल सरकारी प्रोत्साहन मिलने से टेक्सटाइल के क्षेत्र में दुनिया के बाजार में हमसे आगे निकल रहे हैं। इसी तरह पर्यटन ऐसा क्षेत्र है, जहां हम दुनिया के निवेशकों से लेकर पर्यटकों तक को आकर्षित कर सकते हैं। इससे देश के युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। एमएसएमई और एजुकेशन व स्किल दो अन्य क्षेत्र हैं जहां यदि सरकार प्रोत्साहन दे तो नतीजे काफी सकारात्मक हो सकते हैं। इन सभी सेक्टरों पर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए।

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