विदेश मंत्री माइक पोंपियो का बड़ा बयान, कहा- समझौता तभी हुआ जब तालिबान ने किया शांति का प्रयास

दोहा: बीते कई वर्षों से दुनिया में बढ़ रहा हिंसा का मामला आज पूरे मानवीय जगत में फ़ैल चुका है. वहीं अफगानिस्‍तान में शांति बहाली के लिए कतर में अमेरिका और तालिबान द्ववारा ऐतिहासिक समझौते के मौके पर अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा, अफगानिस्तान के साथ ये करार तभी हो पाया, जब तालिबान ने शांति का प्रयास किया और अल कायदा के साथ अपने संबंध समाप्त कर दिए गए है. यह समझौता इस प्रयास की सच्ची परीक्षा लिया गया है. 

जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि उन्‍होंने कहा कि हम तालिबान को उनकी प्रतिबद्धताओं के अनुपालन के लिए करीब से देखेंगे और उनके कार्यों के साथ हमारी वापसी की गति को जांचेंगे. इस तरह से हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अफगानिस्तान फिर से अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों के लिए आधार के रूप में कार्य न करे.  दोहा में अमेरिका के विदेश मंत्री माइकल पोंपिओ और तालिबान के मुल्ला बरादर ने इस समझौते पत्र पर हस्ताक्षर किये. इस अवसर पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी उपस्थित थे जबकि भारत का प्रतिनिधित्व कतर में भारतीय राजदूत पी कुमारन ने किया. समझौते के मुताबिक अगले 14 महीनों में अफगानिस्तान के विभिन्न इलाकों में तैनात 14,000 अमेरिकी सैनिकों की वापसी होगी. 

वहीं इस बात का पता चला है कि  पहले चरण में 5,000 सैनिक वापस होंगे. वहीं इस बीच तालिबान और अफगान सरकार के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू होगा ताकि वहां सत्ता भागीदारी को लेकर एक सर्वमान्य सहमति बन सके. अफगानिस्‍तान में शांति बहाली के लिए कतर में अमेरिका और तालिबान ने ऐतिहासिक समझौते पर हस्‍ताक्षर किए हैं. इस समझौते के साथ अफगानिस्‍तान में  सबसे लंबे अमेरिकी युद्ध का अंत होगा. अमेरिका के साथ ऐतिहासिक समझौते पर हस्‍ताक्षर के लिए 31 सदस्‍यीय तालिबान प्रतिनिधिमंडल कतर पहुंचा है. 

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