आषाढ़ अमावस्या पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए अपनाएं ये उपाय

प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन अमावस्या तिथि पड़ती है। वही इस बार 18 जून को 'आषाढ़ अमावस्या' है। सनातन धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा तिथि की विशेष महत्वत्ता है। दैनिक पंचांग के मुताबिक, आषाढ़ अमावस्या की तिथि 17 जून को प्रातः 9 बजकर 11 मिनट से आरम्भ होकर अगले दिन 18 जून को 10 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी। अतः 17 जून को दर्श अमावस्या एवं 18 जून को आषाढ़ अमावस्या है। इस वक़्त में आपको पितरों के निमित्त श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण आदि करना चाहिए. 

अमावस्या पर पितर कैसे होंगे प्रसन्न? आषाढ़ अमावस्या के अवसर पर आप स्नान करने के पश्चात् साफ कपड़ा पहन लें. फिर पितरों को प्रसन्न करने के लिए जल से तर्पण करें. उस समय अपने हाथ में कुश की पवित्री पहन लें. तिल तथा जल से पितरों को तर्पण दें. पितर लोक में जल की कमी होती है. जल से तर्पण करने पर पितर तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं. इससे पितृ दोष दूर होता है.

अमावस्या का महत्व:- आषाढ़ अमावस्या के दिन आप पितरों के देव अर्यमा की पूजा करें. वे इंद्र के भाई हैं. अमावस्या पर अर्यमा की पूजा करने से भी पितृ दोष शांत होता है. अमावस्या के दिन स्नान पश्चात् पीपल के वृक्ष की पूजा करते हैं तथा उसकी जड़ में जल अर्पित करते हैं. इससे देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

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