मध्यप्रदेश की राजनीति में फिर से छाए 'दिग्गी राजा', जीत में रहा है अहम् योगदान

भोपाल: मध्य प्रदेश में 2018 में सिर्फ कांग्रेस ने ही सत्ता में वापसी नहीं की है, बल्कि दिग्विजय सिंह ने भी धमाकेदार वापसी की है, जिन्हें एक समय पर मध्य प्रदेश कांग्रेस का पर्याय या फिर एमपी कांग्रेस का एक बड़ा नाम माना जाता था. एमपी की कांग्रेस इकाई में कई बार दिग्विजय सिंह पर गुटबाजी का आरोप भी लगा था. लेकिन दो बार सूबे के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय ने इन आरोपों को पूरी तरह से गलत साबित करते हुए सभी गुटों को एकजुट कर कमलनाथ के पीछे मजबूती से स्थापित कर दिया. 

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उनकी 'नर्मदा परिक्रमा' ने भी कांग्रेस को एमपी की जनता से जोड़ने में सहायता की है, जो कि पिछले दस सालों में नही हो पाया था. एक पुरानी कहावत यहां सिद्ध होती है कि, 'आप उसे प्यार करें या नफरत लेकिन नजरअंदाज कर ही नहीं सकते हैं'. टिकट बंटवारे के बाद पार्टी में फैले असंतोष से लेकर पार्टी के बागियों को मनाने तक में दिग्विजय सिंह ने मध्‍य प्रदेश के चुनावी रण में अहम् भूमिका अदा की है.

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मध्य प्रदेश में सरकार के गठन के बाद 'दिग्गी राजा' वरिष्ठ अफसरों की नियुक्ति करने में सक्रिय हो गए हैं और अब ऐसा अनुमान है कि कैबिनेट गठन में भी उनका ही सिक्का चलेगा और उनके इशारों पर ही काम होगा. माना जा रहा है कि मंगलवार 25 दिसंबर को संभावित मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह से पीला दिग्गी राजा से ही परामर्श लिया गया है.

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