'कोरोना से मरने वालों को मिले एक करोड़ मुआवज़ा..', याचिका देख सन्न रह गई दिल्ली हाई कोर्ट, कही ये बात

नई दिल्ली: कोरोना वायरस से फ़ौरन मौत होने या रिकवर होने के एक महीने के अंदर जान गंवाने वालों के परिजनों को एक करोड़ रुपए दिए जाने का आदेश देने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए मना कर दिया कि इससे देश दीवालिया हो जाएगा। याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस नवीन चावला की खंडपीठ ने कहा कि, 'पूरा देश दिवालिया हो जाएगा।' हम ऐसा आदेश नहीं दे सकते हैं।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पीड़ितों के परिवार वालों को अनुग्रह राशि देने के लिए एक नीति बनाई गई है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने भी मंजूरी दी है। उस नीति के अनुसार, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कोरोना संक्रमण से मौतों के लिए अनुग्रह राशि 50,000 रुपये निर्धारित की है, जिसे राज्य सरकारें, अपने राज्य आपदा रिस्पांस कोष से देंगी। अदालत ने गत वर्ष जून में डॉ. विद्योत्तमा झा की रिट याचिका पर यह टिप्पणी की है। इसमें कोरोना महामारी के पीड़ितों को अनुग्रह राशि देने की नीति की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाते हुए कहा था कि अधिकारी बगैर किसी दिशा-निर्देश के सिर्फ पिक एंड चॉइस के आधार पर चयनित लोगों के परिवारों को मुआवजा दे रहे हैं।

याचिका में यह मांग की गई थी कि प्रतिवादियों को बिना किसी भेदभाव के सभी परिवारों को अनुग्रह राशि प्रदान करने के लिए उचित नीति और दिशानिर्देश देने के निर्देश जारी किए जाएं। हालांकि, अदालत ने कहा कि एक नीति पहले से ही बनी हुई है, लिहाजा इस पर आगे कुछ करने की आवश्यकता नहीं है। 

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