केजरीवाल की प्रचंड जीत ने विपक्षी दलों को राजनीति में जगाई नई उम्मीद

भविष्य में विपक्ष की राजनीति में ​दिल्ली के नतीजों ने जान फूक दी है. दिल्ली चुनाव परिणाम ने बड़े बदलाव के संकेत दिए है. तीसरी ताकत के उदय और भाजपा से सीधी लड़ाई वाले राज्यों में लगातार चूक रही कांग्रेस की जगह अब गैरकांग्रेसी क्षेत्रीय दल एकजुट हो सकते हैं. दिल्ली के नतीजे आने के बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने क्षेत्रीय दलों को एकजुट करने की बात कह भविष्य की राजनीति का संदेश दिया है. देखने वाली बात होगी कि इस फ्रंट में लगातार तीसरी जीत हासिल करने वाले अरविंद केजरीवाल की भूमिका क्या होगी?

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में कांग्रेस के प्रदर्शन ने गैरकांग्रेस-गैरभाजपा दलों की संभावना बढ़ाई है. फिर साबित हुआ कि यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों की तरह दिल्ली में भी तीसरी ताकत के उदय ने कांग्रेस की उम्मीदों पर ग्रहण लगा दिया है. गांधी परिवार मतदाताओं पर असर नहीं छोड़ पा रहा. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले महज छत्तीसगढ़ में ही वह सत्ता विरोधी लहर का लाभ उठा पाई.

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इससे पहले मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी भाजपा बहुमत नहीं जुटा पाई. लोकसभा चुनाव में तो इन तीनों राज्यों में कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ हो गया. महाराष्ट्र में उसे शिवसेना की बगावत के कारण भाग्य से सत्ता में हिस्सेदारी मिली तो झारखंड में जेएएम की बदौलत. पार्टी बिहार में आरजेडी के भरोसे है. ऐसे में अगर क्षेत्रीय दलों का फ्रंट बना तो कांग्रेस की भूमिका इसमें बी टीम की होगी.

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