70 लाख रोजगार की घोषणा आंकड़ों का मायाजाल है ?

नई दिल्ली : कल वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में 2018-19 में 70 लाख नौकरियों का सृजन करने की बात कही है.जिसे हकीकत की ज़मीन पर उतारना आसान नहीं है .यूँ भी मोदी सरकार पर रोजगार के मुद्दे पर विफल रहने के आरोप विपक्ष लगाता रहा है .अब ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली बजट में की गई इस घोषणा के बारे में क्या ठोस कदम उठाते हैं. फ़िलहाल तो यह घोषणा आंकड़ों का मायाजाल लग रही है .

उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कल अपने बजट भाषण में 70 लाख रोजगार देने की घोषणा से विपक्ष तो क्या बेरोजगार को भी भरोसा नहीं हो रहा है, क्योंकि आगामी पांच साल में 10.5 करोड़ बेरोजगारों की फ़ौज फिर सरकार के सामने खड़ी हो जाएगी.ऐसे में पिछले अनुभवों को देखते हुए इसके क्रियान्वित होने पर संदेह स्वाभाविक है, हालाँकि वित्त मंत्री ने एमएसएमई में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए 3,794 करोड़ रुपये और मुद्रा योजना में अगले वित्त वर्ष में 3 लाख करोड़ रुपये लोन देने का लक्ष्य रखने का जिक्र किया है.

आपको बता दें कि सरकार नौकरियों के सृजन के मामले में आंकड़ों को ठीक कर वर्तमान विकल्पों को अपनाने पर ही जोर दे रही है. ऐसा माना जा रहा है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और निजी क्षेत्रों में उभरते सेक्टर से ही नौकरियां बढ़ेंगी. उद्योग चैंबर के अनुसार 2011-12 से 2015-16 के चार सालों की अवधि में मात्र 36.5 लाख नौकरियां पैदा हुई थी .ऐसे में मात्र एक साल में 70 लाख रोजगार उपलब्ध करवाने की घोषणा बड़ी लगती है.

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