कोरोना वायरस : क्या भारतीय जेल से आजाद होने वाले है अपराधी ?

कोरोना वायरस पूरी दुनिया के लिए मुसीबत बन गया है. लेकिन कुछ कैदियों को यह थोड़ी राहत भी दे सकता है. कोर्ट ने जेल में बंद कैदियों की कोरोना से सुरक्षा के इंतजामों पर स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई सुनवाई में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 में मिले जीवन के अधिकार के तहत यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि कोरोना संक्रमण जेलों में न फैले. कोर्ट ने जेलों में भीड़ कम करने के लिहाज से ये आदेश जारी किए हैं ताकि कैदियों के बीच निश्चित दूरी सुनिश्चित हो और उन्हें संक्रमण से बचाया जा सके. ध्यान रहे कि कुछ दिन पहले ईरान में बड़ी संख्या में कैदियों की रिहाई की गई है.

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इस मामले को लेकर मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने आदेश में कहा है कि जेलों में क्षमता से ज्यादा भीड़ गंभीर चिंता का मुद्दा है. विशेषतौर पर कोरोना महामारी को देखते हुए. कोर्ट ने प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को एक हाईपावर कमेटी गठित करने का आदेश दिया. इस कमेटी में स्टेट लीगल सर्विस कमेटी के अध्यक्ष, प्रिंसिपल सेक्रेटरी गृह या जेल और डीजीपी कारागार शामिल होंगे.

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अपने बयान में आगे कोर्ट ने कहा कि यह हाईपावर कमेटी तय करेगी कि किस श्रेणी के कैदियों को अंतरिम जमानत या पैरोल पर कितने समय के लिए रिहा किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि उदाहरण के तौर पर उन कैदियों की रिहाई पर विचार हो सकता है जो सात साल या उससे कम सजा के जुर्म में दोषी या विचाराधीन हैं. या जो लोग कानून में तय अधिकतम सजा से कम सजा पाए हैं. कोर्ट ने साफ किया कि किस श्रेणी के कैदियों की रिहाई होगी यह तय करने का अधिकार हाई पावर कमेटी को ही होगा. कमेटी अपराध की प्रकृति, गंभीरता और कितने साल की सजा हुई आदि पहलुओं पर विचार कर उचित निर्णय लेगी.

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